जानें इसे पढ़ने के अद्भुत लाभ और सही जाप का तरीका। जीवन में तनाव, क्रोध और नकारात्मकता से मुक्ति पाने का सरल उपाय।
गुस्सा आना एक आम बात है, लेकिन जब गुस्सा बहुत ज़्यादा बढ़ जाए, तो ये हमारे रिश्तों, स्वास्थ्य और सोचने व निर्णय लेने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में कुछ आसान उपाय जैसे ध्यान, गहरी सांसें लेना, और मंत्रों का जाप बहुत सहायता कर सकते हैं। चलिए इस लेख में जानते हैं कुछ ऐसे गुस्सा कम करने वाले प्रमुख मंत्र, जो इस पर नियंत्रण पाने में सहायक हो सकते हैं।
**मंत्र:** ॐ शांताकाराय नमः
अर्थ: “ॐ” – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि। “शांताकाराय” – जो पूर्ण रूप से शांत है। “नमः” – नमन करता हूँ।
भावार्थ: इस मंत्र के माध्यम से साधक उस दिव्य शक्ति (भगवान विष्णु) को नमन करता है जो परम शांति का स्वरूप है। जब भी मन व्याकुल हो, गुस्सा बढ़ने लगे, तो यह मंत्र मन को तुरंत स्थिरता प्रदान करता है। इसके नियमित जप से मन शांत होता है और गुस्से में प्रतिक्रिया देने की बजाय धैर्य व संयम रखने की क्षमता आती है।
**मंत्र:** ॐ नमः शिवाय
अर्थ: "ॐ" – सृष्टि की मूल ध्वनि। "नमः" – नमन करना, समर्पण करना। "शिवाय" – शिव को, जो कल्याण और शांति के प्रतीक हैं।
भावार्थ: यह पंचाक्षरी मंत्र भगवान शिव को समर्पित है, जिनका स्वरूप शांत, सरल और सहनशील है। मान्यता है कि इस मंत्र के जप से हमें शिव जैसी शांति और सहनशक्ति प्राप्त होती है।
**मंत्र:** ॐ क्लीं क्रीं क्रूं क्रोध नाशाय फट्
अर्थ: “क्लीं क्रीं क्रूं” – शक्तिशाली बीजाक्षर जो मन की उथल-पुथल को शांत करते हैं। “क्रोध नाशाय” – क्रोध को नष्ट करने के लिए। “फट्” – नकारात्मक ऊर्जा को हटाने का प्रतीक।
भावार्थ: यह एक तांत्रिक बीज मंत्र है, जिसका उपयोग विशेष रूप से तीव्र क्रोध की अवस्था में किया जाता है। यह मंत्र अंदर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालता है और मन को संतुलन में लाता है। ऐसे में इस मंत्र के जाप से क्रोध की तीव्रता धीरे-धीरे कम होने लगती है।
**मंत्र:** ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थ: हम तीन नेत्रों वाले (त्र्यम्बकं) भगवान शिव की उपासना करते हैं जो संपूर्ण जगत को पोषण देते हैं। जैसे खीरा बेल से सहजता से अलग हो जाता है, वैसे ही हम भी बंधनों (क्रोध, मृत्यु, पीड़ा) से मुक्त हों और अमरत्व को प्राप्त करें।
भावार्थ: यह मंत्र केवल मृत्यु से नहीं, बल्कि नकारात्मक मानसिक स्थितियों जैसे क्रोध, भय, तनाव से भी मुक्ति दिलाने वाला है। गुस्से के पीछे कई बार डर, हताशा या पीड़ा छिपी होती है। ऐसे में इस मंत्र का नियमित जप हमारे मन में गहरी शांति लाता है।
**मंत्र:** ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ: हम उस दिव्य सविता (सूर्य) देव का ध्यान करते हैं जो संपूर्ण त्रिलोक (भू, भुवः, स्वः) के ऊर्जा स्रोत हैं। हम उस परम तेज को ध्यान में रखते हैं जो हमारी बुद्धि को तीव्र व पवित्र बनाए।
भावार्थ: गायत्री मंत्र को हमारी बुद्धि और विवेक को शुद्ध करने वाला मंत्र कहा जाता है। यह मंत्र हमें शांति, धैर्य और संतुलन के साथ हर परिस्थिति का सामना करने की शक्ति देता है। इस प्रकार हम क्रोध के दौरान भी संयमित रहते हैं, और शीघ्र ही उसे नियंत्रित कर पाते हैं।
मंत्रों के जाप के लिए साधक को शांत और स्वच्छ जगह पर बैठना चाहिए, जहाँ आसपास का वातावरण शांत हो और ध्यान में कोई रुकावट न आए। यह वातावरण मन को एकाग्र करने में मदद करता है।
पद्मासन, सुखासन या किसी आरामदायक आसन में बैठें। कमर सीधी रखें ताकि शरीर और मन दोनों स्थिर रहें। यह स्थिति मंत्र के प्रभाव को बढ़ाने में सहायक होती है।
जप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की 108 दानों वाली माला का उपयोग करें। माला से जप करने से संख्या का सही ध्यान रहता है और मन भी केंद्रित रहता है।
मंत्र जप के लिए ब्रह्ममुहूर्त (लगभग सुबह 4 से 6 बजे) का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यदि संभव न हो, तो रात को सोने से पहले भी जप किया जा सकता है।
मंत्रों का उच्चारण केवल शब्दों के रूप में न करें, बल्कि उनमें छिपे भाव और शक्ति को समझते हुए पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से जप करें। तभी मंत्र का प्रभाव मन पर गहराई से पड़ता है।
जप पूरा होने के बाद कुछ समय आंखें बंद कर शांत बैठे रहें। अपने भीतर उत्पन्न हुई शांति और सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करें।
गुस्सा एक प्राकृतिक भावना है, लेकिन जब यह हमारे व्यवहार और निर्णय पर हावी हो जाए, तब यह हानिकारक हो सकती है। ऐसे में ऊपर दिए गए मंत्रों के जाप से मन को स्थिर, शांत और संतुलित किया जा सकता है।
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