भगवान को बुलाने का मंत्र
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

भगवान को बुलाने का मंत्र

जानें इसे पढ़ने के अद्भुत लाभ और सही जाप का तरीका। जीवन में आध्यात्मिक शक्ति, सुख और नकारात्मकता से मुक्ति पाने का सरल उपाय।

देव मंत्र के बारे में

ध्वनि का मनुष्य के जीवन में अत्यंत गहरा प्रभाव होता है। हर शब्द में एक कंपन छिपा होता है, लेकिन कुछ विशेष मंत्र ऐसे होते हैं जो केवल संवाद नहीं, बल्कि चेतना के द्वार खोलने वाले होते हैं। मंत्रों को “मन को मुक्त करने वाला यंत्र” कहा गया है, जो ‘मन’ (चित्त) और ‘त्र’ (मुक्ति) से मिलकर बना है। ये मंत्र मानव जीवन को मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और भौतिक रूप से संतुलित करने में मदद करते हैं।

मंत्र क्या है?

प्राचीन ऋषियों ने मंत्रों को नाद ब्रह्म माना - अर्थात, ध्वनि ही परम सत्य है।

मंत्र एक विशेष ध्वनि, शब्द, या वाक्य होता है, जिसे ध्यानपूर्वक और बार-बार जप किया जाता है। जब हम मंत्रों का जप करते हैं, तो हम एक विशेष ऊर्जा कंपन उत्पन्न करते हैं जो हमारे मन, शरीर और आत्मा को स्पंदित करता है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है। जो अंततः व्यक्ति की चेतना को ऊंचे स्तर तक ले जाता है। ये मंत्र अधिकतर संस्कृत में होते हैं, संस्कृत के शब्दों में ध्वनि और ऊर्जा का ऐसा संतुलन होता है कि वह ब्रह्मांडीय ऊर्जा से सीधा संबंध स्थापित कर लेता है।

मंत्रों के प्रकार

  • बीज मंत्र: ये एकाक्षर मंत्र होते हैं, जैसे ‘ॐ’, ‘ह्रीं’, ‘क्रीं’, ‘श्रीं’। इन्हें किसी देवी-देवता की मूल शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • वैदिक मंत्र: ये वेदों से लिए गए प्राचीन मंत्र होते हैं, जैसे गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र।
  • पौराणिक मंत्र: ये पुराणों में वर्णित देवी-देवताओं के मंत्र होते हैं।
  • तांत्रिक मंत्र: ये तांत्रिक साधनाओं में प्रयोग किए जाने वाले विशिष्ट मंत्र होते हैं।

मंत्रों का प्रभाव

  • मानसिक शांति और तनाव मुक्ति: मंत्र जप मस्तिष्क की अल्फा तरंगों को सक्रिय करता है जिससे शांति और ध्यान की अवस्था आती है। यह तनाव और चिंता को कम करता है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ: नियमित मंत्र जप के दौरान साँस नियंत्रित रहती है, जिससे फेफड़े और हृदय मजबूत होते हैं। यह वैगस नर्व को उत्तेजित कर शरीर को शांति देता है।
  • भावनात्मक संतुलन और आत्म-जागरूकता: मंत्र नकारात्मक भावनाओं को कम कर आत्मविश्वास, धैर्य और स्थिरता बढ़ाते हैं।
  • एकाग्रता और स्मृति में सुधार: मंत्र दोहराव से मस्तिष्क एकाग्र होता है, जिससे ध्यान और स्मृति क्षमता बढ़ती है।
  • वातावरण की शुद्धि: मंत्रों के कंपन से आसपास की ऊर्जा शुद्ध होती है और सकारात्मकता फैलती है।

प्रमुख देवी-देवताओं के मंत्र और उनका अर्थ

1. गणेश मंत्र

share
**“ॐ गं गणपतये नमः”**
  • ॐ: ब्रह्मांड की आदि ध्वनि, परम सत्य का प्रतीक।
  • गं: भगवान गणेश का बीज मंत्र, उनकी शक्ति को दर्शाता है।
  • गणपतये: ‘गणपति को’ या ‘गणों के स्वामी को’।
  • नमः मैं नमन करता हूँ।

पूरे मंत्र का अर्थ: गणों के स्वामी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश को नमन। यह मंत्र सभी कार्यों की सफल शुरुआत के लिए उत्तम है।

2. लक्ष्मी मंत्र

share
**“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः”**
  • ॐ: ब्रह्मांड की आदि ध्वनि।
  • श्रीं: महालक्ष्मी का बीज मंत्र।
  • ह्रीं: माया बीज मंत्र, जो आकर्षण और सम्मोहन शक्ति का प्रतीक है।
  • क्लीं: काम बीज मंत्र, जो इच्छा शक्ति और आकर्षण का प्रतीक है।
  • सिद्ध लक्ष्म्यै: सिद्ध लक्ष्मी को।
  • नमः मैं नमन करता हूँ।

पूरे मंत्र का अर्थ: धन, ऐश्वर्य, सौंदर्य और सिद्धि देने वाली देवी लक्ष्मी को सादर प्रणाम।

3. शिव मंत्र

share
**“ॐ नमः शिवाय”**
  • ॐ: ब्रह्मांड की आदि ध्वनि।
  • नमः मैं नमन करता हूँ, प्रणाम करता हूँ।
  • शिवाय: 'शिव को', जो शुभ, कल्याणकारी और पवित्र हैं।

पूरे मंत्र का अर्थ: कल्याणकारी, पवित्र शिव को नमस्कार। यह पंचतत्वों और मोक्ष से जुड़ा महामंत्र है।

4. विष्णु मंत्र

share
**“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”**
  • ॐ: ब्रह्मांड की आदि ध्वनि।
  • नमो: मैं नमन करता हूँ।
  • भगवते: 'भगवान को', जो सभी ऐश्वर्यों (ज्ञान, शक्ति, बल, ऐश्वर्य, वीर्य और तेज) से युक्त हैं।
  • वासुदेवाय: 'वासुदेव को', जो सर्वव्यापी हैं, सब जगह निवास करते हैं और सब में निवास करते हैं।

पूरे मंत्र का अर्थ: सर्वव्यापी, पालनकर्ता भगवान वासुदेव (विष्णु) को नमन।

5. दुर्गा मंत्र

share
**“ॐ दुं दुर्गायै नमः”**
  • ॐ: ब्रह्मांड की आदि ध्वनि।
  • दुं: देवी दुर्गा का बीज मंत्र, जो सुरक्षा और शक्ति प्रदान करता है।
  • दुर्गायै: 'दुर्गा को', जो दुर्गम बाधाओं को पार कराती हैं।
  • नमः मैं नमन करता हूँ।

पूरे मंत्र का अर्थ: संकटों का नाश करने वाली माँ दुर्गा को प्रणाम।

6. हनुमान मंत्र

share
**“ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट स्वाहा”**
  • ॐ: ब्रह्मांड की आदि ध्वनि।
  • हं: हनुमान जी का बीज मंत्र, उनकी शक्ति को दर्शाता है।
  • हनुमते: हनुमान जी को।
  • रुद्रात्मकाय: रुद्र (शिव) के अंश या अवतार।
  • हुं फट: नकारात्मक शक्तियों को तत्काल हटाने और भस्म करने का कीलक।
  • स्वाहा: मैं अर्पित करता हूँ, समर्पण करता हूँ।

पूरे मंत्र का अर्थ: रुद्रस्वरूप हनुमान जी को नमन, जो सभी नकारात्मकताओं को तत्काल नष्ट करते हैं।

यदि इन मंत्रों का जप श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जाए, तो यह न केवल मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक उन्नति का साधन बनता है, बल्कि जीवन में शांति, सफलता, सुरक्षा और समृद्धि का भी स्रोत बन जाता है। मंत्रों का अभ्यास आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है और ईश्वर से सीधा संबंध स्थापित करता है।

divider
Published by Sri Mandir·October 17, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook