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नृसिंह कवच

नृसिंह कवच का पाठ भगवान नृसिंहदेव की कृपा दिलाता है, जो संकटों से रक्षा और विजय का मार्ग दिखाता है। जानें इसकी पाठ विधि और चमत्कारी लाभ।

नृसिंह कवच के बारे में

नृसिंह कवच एक ऐसा दिव्य शास्त्रीय स्तोत्र है, जो भगवान नृसिंहदेव की कृपा से साधक को हर प्रकार की बाधा, शत्रु और अनिष्ट शक्तियों से सुरक्षित करता है। यह कवच न केवल आध्यात्मिक रक्षा प्रदान करता है, बल्कि मनोबल, साहस और आत्मविश्वास को भी गहराई से जाग्रत करता है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं नृसिंह कवच लाभ, महत्व एवं पाठ करने के तरीकों के बारे मे।

नृसिंह कवच क्या है?

भगवान नृसिंह, भगवान विष्णु के उग्र और पराक्रमी अवतार हैं, जो धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए प्रकट हुए। जब हिरण्यकशिपु ने भक्त प्रह्लाद को अनेक यातनाएँ दीं, तब भगवान नृसिंह ने प्रकट होकर उसे संहार कर दिया और यह सिद्ध किया कि सच्चे भक्त की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। नृसिंह कवच एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे पढ़ने से व्यक्ति सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, भय और शत्रुओं से सुरक्षित रहता है। यह कवच न केवल आत्मबल को बढ़ाता है बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी लाता है।

नृसिंह कवच श्लोक

विनियोग: सीधे हाथ में जल लेकर पढ़े।

ॐ अस्य श्रीलक्ष्मीनृसिंह कवच महामंत्रस्य ब्रह्माऋषिः; अनुष्टुप् छन्दः; श्रीनृसिंहोदेवता, ॐ क्ष्रीं बीजम्, ॐ रां शक्तिः; ॐ ऐं कीलकम्, मम सर्वरोग, शत्रु, चोर, पन्ना, व्याघ्र, वृश्चिक, भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी-शाकिनी, यन्त्र मन्त्रादि, सर्व विघ्न निवारणार्थ श्री नृसिंह कवच महामंत्र जपे विनियोगः। जल भूमि पर छोड़ दें।

अथ ऋष्यादिन्यासः

ॐ ब्रह्माऋषये नमः शिरसि।

ॐ अनुष्टुप छन्दसे नमो मुखे।

ॐ श्रीलक्ष्मी नृसिंह देवताये नमो हृदय।

ॐ क्ष्रीं बीजाय नमो नाभ्यां।

ॐ शक्तये नमः कटिदेशे।

ॐ ऐं कीलकाय नमः पादयो।

ॐ श्रीनृसिंह कवचमहामंत्र जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे।

अथ करन्यास

ॐ क्ष्रौं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।

ॐ प्रौं तर्जनीभ्यां नमः।

ॐ हौं मध्यमाभ्यां नमः।

ॐ रौं अनामिकाभ्यां नमः।

ॐ ब्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।

ॐ जौं करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।

अथ हृदयादिन्यास

ॐ क्षौं हृदयाय नमः।

ॐ प्रौं शिरसे स्वाहा।

ॐ हौं शिखायै वषट्।

ॐ रौं कवचाय हुम्।

ॐ ब्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।

ॐ जौं अस्त्राय फट्।

नृसिंह ध्यान

ॐ सत्यं ज्ञान सुखस्वरूप ममलं क्षीराब्धि मध्ये स्थित।

योगारूढमति प्रसन्नवदनं भूषा सहस्रोज्ज्वलम्।

तीक्ष्णं चक्र पिनाक शायकवरान विभ्राणमर्कच्छवि।

छत्रि भूतफणिन्द्रमिन्दुधवलं लक्ष्मी नृसिंह भजे।।

कवच पाठ

ॐ नमोनृसिंहाय सर्व दुष्ट विनाशनाय सर्वजन मोहनाय

सर्वराज्यवश्यं कुरु कुरु स्वाहा।

ॐ नमो नृसिंहाय नृसिंहराजाय नर्केशाय नमो नमस्ते।

ॐ नमः कालाय काल द्रूपाय कराल वदनाय च।

ॐ उग्राय उग्र वीराय उग्र विकटाय उग्र वज्राय वज्र देहिने रुद्राय रुद्र घोराय भद्राय भद्रकारीणे ॐ ज्रीं हीं नृसिंहाय नमः स्वाहा !!

ॐ नमो नृसिंहाय कपिलाय कपिल जटाय अमोघवाचाय सत्यं सत्यं व्रतं महोङ्ग प्रचण्ड रूपाय।

ॐ हां हीं हूं हूँ ॐ हं हुं हुं ॐ क्षां क्षीं क्षूं फट् स्वाहा।

ॐ नमो नृसिंहाय कपिल जटाय ममः सर्व रोगानु बन्ध बन्ध, सर्व ग्रहान बन्ध बन्ध, सर्व दोषादीनां बन्ध बन्ध, सर्व वृश्चिकादीनां विषं बन्ध बन्ध, सर्व भूत प्रेत, पिशाच, डाकिनी शाकिनी, यंत्र मंत्रादीन बन्ध बन्ध, कीलय कीलय चूर्णय चूर्णय, मर्दय मर्दय, ऐं ऐं ऐहि ऐहि, मम येये विरोधिस्थानानु सर्वान सर्वतो हन हन, दह दह, मध मध, पच पच, चक्राण, गदा, वज्रेन भस्मी कुरु कुरु स्वाहा।

ॐ क्लीं श्रीं हीं क्षीं क्षीं क्षीं नृसिंहाय नमः स्वाहा।

ॐ आं हीं क्षूं क्रों हूं फट्।

ॐ नमो भगवते सुधर्शन नृसिंहाय मम विजय रूपे जल्य जल्य प्रज्वल प्रज्वल असाध्यमेनकार्यं शीघ्रं साधय साधय एवं सर्व प्रतिबन्धकेभ्यः सर्वतो रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा।

ॐ क्ष्रों नमो भगवते नृसिंहाय एतदोषं प्रचण्ड चक्रेण जहि जहि स्वाहा।

ॐ नमो भगवते महानृसिंहाय कराल वदन दंष्ट्राय मम विजयनं पच स्वाहा।

ॐ नमो नृसिंहाय हिरण्यकश्यप वक्षस्थल विदारणाय त्रिभुवन व्यापकाय भूत-प्रेत पिशाच डाकिनी-शाकिनी कालनोन्मूलनाय मम शरीरं स्तम्भीभूत्व समस्त दोषानु हन हन, शर शर, चल चल, कम्पय कम्पय, मध मध, हूं फट् ठः।

ॐ नमो भगवते भो भो सुदर्शन नृसिंह ॐ आं हीं क्रों क्षौं हूं फट्।

ॐ सहस्रार मम अग्नि वर्तमान मुक राग दार्ये दार्ये दार्ये दुराते हन हन पापं मध मध आरोग्यं कुरु कुरु हां हीं हूं हूँ हूं हूँ हूं फट् मम शत्रु हन हन द्विष द्विष तद पचयं कुरु कुरु मम सर्वार्थ साधय साधय।

ॐ नमो भगवते नृसिंहाय ॐ क्ष्रों क्रों आं हीं क्लीं श्रीं रां स्रें ब्लें यं रं लं वं पं स्रां हूं फट् स्वाहा।

ॐ नमः भगवते नृसिंहाय नमस्तेजस्तेजसे अविरभिर्भव वज्रनख वज्रदंष्ट्र कर्माशयान रंधय रंधय तमो ग्रस ग्रस ॐ स्वाहा।

अभयम्भयात्मनि भूषिः। ॐ क्ष्रौं।

ॐ नमोऽस्तु नित्य परस्य महानते हरिरिन्द्र नृसिंहाय वज्र परमात्मने।

ॐ उं उं उं महाविष्णुं सकलाधारं सर्वतोमुखम्।

नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्यं मृत्यं नमाम्यहम्।

॥ इति नृसिंह कवच ॥

नृसिंह कवच का पाठ करने के लाभ

  • भय का नाश: नृसिंह कवच का पाठ करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता। चाहे वह मानसिक भय हो, आध्यात्मिक संकट हो या फिर बाहरी किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव, यह कवच सभी को नष्ट कर देता है।

  • शत्रु नाश एवं विजय प्राप्ति: जो व्यक्ति अपने शत्रुओं या विरोधियों से परेशान है, उनके लिए यह कवच विशेष रूप से प्रभावी है। इसका पाठ करने से शत्रु स्वयं ही पराजित हो जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

  • नकारात्मक शक्तियों एवं बाधाओं से रक्षा: इस कवच के प्रभाव से टोना-टोटका, बुरी नजर, तांत्रिक प्रभाव, एवं अन्य नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती हैं। यह व्यक्ति के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।

  • आर्थिक समृद्धि एवं सुख-शांति: यह कवच घर में समृद्धि और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता है। भगवान नृसिंह की कृपा से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती और सभी प्रकार के क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

  • स्वास्थ्य लाभ: यह कवच मानसिक और शारीरिक रूप से भी बलवान बनाता है। इसका नियमित पाठ करने से रोग और बीमारियाँ दूर रहती हैं तथा व्यक्ति दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है।

  • आत्मबल एवं साहस में वृद्धि: भगवान नृसिंह अपने भक्तों को असीम आत्मविश्वास और साहस प्रदान करते हैं। इस कवच के प्रभाव से व्यक्ति में किसी भी कठिनाई का सामना करने की शक्ति उत्पन्न होती है।

  • परिवार एवं संतान की सुरक्षा: यदि परिवार या संतान को किसी प्रकार का भय या संकट हो, तो इस कवच का पाठ करने से वे सुरक्षित रहते हैं। यह घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखता है।

  • आध्यात्मिक उन्नति: जो व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभदायक है। यह मन को शांत करता है, ध्यान और साधना में सहायता करता है व ईश्वर से जोड़ने में सहायता करता है।

नृसिंह कवच पाठ विधि

  • नृसिंह कवच पाठ से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • पाठ के लिए किसी भी शांत एवं स्वच्छ स्थान पर बैठें। यदि संभव हो तो भगवान नृसिंह की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठकर पाठ करें।

  • पाठ से पहले घी का दीपक जलाएँ और भगवान नृसिंह को पुष्प अर्पित करें।

  • इस कवच का पाठ करते समय रुद्राक्ष की माला से जप करना अधिक प्रभावी माना जाता है।

  • यदि संभव हो तो नरसिंह जयंती, पूर्णिमा, प्रदोष व्रत, या होली जैसे विशेष दिनों पर इस कवच का पाठ करें।

  • 21 दिनों तक नियमित रूप से इस कवच का पाठ करने से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

  • किसी भी मंत्र या स्तोत्र का प्रभाव तभी होता है जब उसे पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ा जाए।

इस प्रकार भगवान नृसिंह को समर्पित 'नृसिंह कवच'  साधक को सभी प्रकार के संकटों से बचाता है, आत्मबल और साहस प्रदान करता है व जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। नृसिंह कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और वह नकारात्मक शक्तियों से मुक्त रहता है। यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा का सामना कर रहे हैं, तो इस कवच का नियमित पाठ ज़रूर करें।

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Published by Sri Mandir·April 10, 2025

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