क्या आप जानना चाहते हैं भुवनेश्वर इस्कॉन मंदिर कब जाएं? कहाँ है? क्या देखें? फोटो और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें और पाएं एक दिव्य अनुभव।
ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित इस्कॉन मंदिर एक पवित्र स्थान है, जो भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। यह मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस(इस्कॉन) का हिस्सा है, जिसकी स्थापना ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी। इस आर्टिकल में आपको मिलेगा इसके दर्शन समय, यहाँ के उत्सवों और मंदिर की खास बातों के बारे में जानने का मौका।
इस्कॉन मंदिर, भुवनेश्वर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा और शांति का केंद्र भी है। यह मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानि इस्कॉन का हिस्सा है, जिसे ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने स्थापित किया था।
भुवनेश्वर के इस्कॉन मंदिर का निर्माण श्री गौर गोविंद स्वामी ने वर्ष 1975 में शुरू किया था। उन्होंने यह कार्य स्वामी प्रभुपाद के मार्गदर्शन में शुरू किया। यह मंदिर स्वामी प्रभुपाद द्वारा शुरू किया गया 108वां और अंतिम इस्कॉन मंदिर है, जो इसे और भी खास बनाता है।
इस पवित्र मंदिर को पूरी तरह बनने में लगभग 17 साल का समय लगा। अंततः यह भव्य मंदिर सन् 1991 में पूरा हुआ और उसी वर्ष इसका उद्घाटन श्री नित्यानंद प्रभु की उपस्थिति में किया गया। आज यह मंदिर न केवल भगवान कृष्ण और राधा रानी की भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह उन भक्तों के लिए भी एक प्रेरणा है, जो श्रीमद्भागवत गीता और भक्ति योग के मार्ग पर चलना चाहते हैं।
भुवनेश्वर के इस्कॉन मंदिर परिसर में स्थित लोटस टेम्पल को पद्म मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर अपनी खूबसूरत बनावट के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर बिल्कुल एक खिले हुए कमल के फूल की तरह दिखता है, और यही इसकी वास्तुकला का खास आकर्षण है।
इस मंदिर को पारंपरिक हिंदू मंदिर की शैली में बनाया गया है, जिसमें जगती (मंच), अर्धमंडप, महामंडप, गर्भगृह, शिखर, अमलका और कलश जैसे हिस्से भी शामिल हैं। इस मंदिर की बनावट न केवल धार्मिक दृष्टि से खास है, बल्कि देखने में भी काफी भव्य लगती है।
सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर की चमक और सुंदरता बहुत शांतिपूर्ण लगती है। यहां का वातावरण भक्तों को आंतरिक शांति और सुकून का एहसास कराता है। मंदिर के प्रवेश के लिए जो सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, वे चौड़ी और आरामदायक हैं ताकि दर्शन के लिए आने वालों को किसी तरह की परेशानी न हो। इन सीढ़ियों के सामने एक छोटा-सा घेरा हुआ सुंदर बगीचा भी है, जो मंदिर की शोभा को और बढ़ा देता है।
यह मंदिर सिर्फ एक पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि यहां की शांति, सुंदरता और खास बनावट इस मंदिर को भक्ति और वास्तुकला के प्रेमियों के लिए और भी ज्यादा खास बना देती है।
दिन | पूजा नाम | समय |
सोमवार से रविवार | जप (मंत्र) ध्यान | 05:15 |
सोमवार से रविवार | श्रीमद् भागवतम प्रवचन | 08:00 |
सोमवार से रविवार | भगवद गीता प्रवचन | 20:00 |
सोमवार से रविवार | मंदिर हॉल बंद हो गया | 21:00 |
सोमवार से रविवार | प्रसाद | दोपहर 1:00 बजे से 2:00 बजे तक |
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: यह इस्कॉन मंदिर का सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में पूरे दिन भजन-कीर्तन, झांकियां और पूजा होती है। रात 12 बजे भगवान का जन्म उत्सव मनाया जाता है और विशेष आरती होती है।
राधाष्टमी: यह राधा रानी के जन्म का दिन होता है। इस दिन राधा-कृष्ण की सुंदर झांकी सजाई जाती है और फूलों से विशेष पूजा होती है।
गौर पूर्णिमा: इस दिन चैतन्य महाप्रभु का जन्मदिन मनाया जाता है। भक्त उपवास रखते हैं, कीर्तन करते हैं और उनकी लीलाओं को याद करते हैं।
नित्यानंद त्रयोदशी: यह भगवान नित्यानंद का प्रकट होने का दिन होता है। इस दिन मंदिर में पूजा, कीर्तन और भंडारा होता है।
एकादशी: हर एकादशी को भक्त उपवास रखते हैं और मंदिर में भजन-कीर्तन और कथा होती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
अगर हम भुवनेश्वर स्थित इस्कॉन मंदिर की बात करें, तो यहाँ पहुँचना बहुत आसान है क्योंकि यह जगह हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ी हुई है। नीचे बताया गया है कि आप मंदिर तक कैसे पहुँच सकते हैं
रेल यात्रा: इस्कॉन मंदिर के सबसे पास का रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर है। स्टेशन पहुँचने के बाद आप आसानी से ऑटो या टैक्सी से मंदिर पहुँच सकते हैं।
बस यात्रा: भुवनेश्वर शहर में आस-पास के शहरों और कस्बों से बस सेवाएं उपलब्ध हैं। बारामुंडा बस स्टैंड, मंदिर से करीब 10 किलोमीटर दूर है। वहां से आप लोकल बस या ऑटो लेकर मंदिर तक आराम से पहुँच सकते हैं।
हवाई मार्ग यात्रा: भुवनेश्वर में इस्कॉन मंदिर से करीब 6 से 7 किलोमीटर दूर बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित है, जो यहां का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे पर उतरने के बाद आप टैक्सी, ऑटो या कैब की मदद से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
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