लक्ष्मी पूजा कब है
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लक्ष्मी पूजा कब है?

जानें 2025 में लक्ष्मी पूजा कब है! घर पर करें धन और समृद्धि की विशेष पूजा, मंत्रोच्चार के साथ, और पाएं माता लक्ष्मी का आशीर्वाद।

लक्ष्मी पूजा कब है? सम्पूर्ण जानकारी

भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है।

प्रमुख हिंदू पर्व दिवाली भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है। हर साल यह कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है, लेकिन साल 2025 में लक्ष्मी पूजा के लिए 20 अक्टूबर और 21 अक्टूबर को लेकर काफी मतभेद है। ऐसे में इस लेख में हम आपको लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और तिथि बता रहें हैं...

पहली पूजा तिथि

  • लक्ष्मी पूजा 20 अक्टूबर 2025, सोमवार पर
  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 07:08 पी एम से 08:18 पी एम
  • अवधि - 01 घण्टा 11 मिनट्स
  • प्रदोष काल - 05:46 पी एम से 08:18 पी एम
  • वृषभ काल - 07:08 पी एम से 09:03 पी एम
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे

अन्य शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

  • 07:38 पी एम से 08:37 पी एम, अक्टूबर 20 - पुणे
  • 07:08 पी एम से 08:18 पी एम, अक्टूबर 20 - नई दिल्ली
  • 07:20 पी एम से 08:14 पी एम, अक्टूबर 20 - चेन्नई
  • 07:17 पी एम से 08:25 पी एम, अक्टूबर 20 - जयपुर
  • 07:21 पी एम से 08:19 पी एम, अक्टूबर 20 - हैदराबाद
  • 07:09 पी एम से 08:19 पी एम, अक्टूबर 20 - गुरुग्राम
  • 07:06 पी एम से 08:19 पी एम, अक्टूबर 20 - चण्डीगढ़
  • 05:06 पी एम से 05:54 पी एम, अक्टूबर 21 - कोलकाता
  • 07:41 पी एम से 08:41 पी एम, अक्टूबर 20 - मुम्बई
  • 07:31 पी एम से 08:25 पी एम, अक्टूबर 20 - बेंगलूरु
  • 07:36 पी एम से 08:40 पी एम, अक्टूबर 20 - अहमदाबाद
  • 07:07 पी एम से 08:18 पी एम, अक्टूबर 20 - नोएडा

विशेष नोट:-

ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए अमावस्या की रात होना ज़रूरी होता है, लेकिन 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल और निशिता काल से पहले समाप्त हो रही है जबकि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से लेकर निशिता काल तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में तिथियों और पंचांग के अनुसार, इस बार 20 अक्टूबर की रात को लक्ष्मी पूजन करना अधिक शुभ रहेगा।

निशिता काल मुहूर्त

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21
  • अवधि - 00 घण्टे 51 मिनट्स
  • निशिता काल - 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21
  • सिंह लग्न - 01:38 ए एम से 03:56 ए एम, अक्टूबर 21
  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे

चौघड़िया पूजा मुहूर्त

  • अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 03:44 पी एम से 05:46 पी एम
  • सायाह्न मुहूर्त (चर) - 05:46 पी एम से 07:21 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 10:31 पी एम से 12:06 ए एम, अक्टूबर 21
  • उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - 01:41 ए एम से 06:26 ए एम, अक्टूबर 21

अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:44 ए एम से 05:34 ए एम

प्रातः सन्ध्या

05:09 ए एम से 06:25 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:43 ए एम से 12:28 पी एम

विजय मुहूर्त

01:59 पी एम से 02:45 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:46 पी एम से 06:12 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:46 पी एम से 07:02 पी एम

अमृत काल

01:40 पी एम से 03:26 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21

क्या है लक्ष्मी पूजा?

  • लक्ष्मी पूजा दीपावली पर्व का सबसे प्रमुख और शुभ अनुष्ठान है।
  • यह पूजा माता लक्ष्मी, अर्थात धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी, को समर्पित होती है।
  • हिंदू पंचांग के अनुसार यह पूजा कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को की जाती है।
  • इस दिन लोग अपने घरों, दुकानों और कार्यस्थलों की विधिवत सफाई और सजावट करते हैं, ताकि माता लक्ष्मी का आगमन हो सके।
  • इस दिन दीपक जलाने, धन की पूजा करने और माँ लक्ष्मी का आवाहन करने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है।
  • यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।

क्यों करते हैं लक्ष्मी पूजा?

  • शास्त्रों में वर्णन है कि कार्तिक अमावस्या की रात्रि को भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी का पृथ्वी पर आगमन होता है।
  • इसलिए इस रात्रि में लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में धन, सौभाग्य और सुख-शांति का स्थायी वास होता है।
  • माना जाता है कि जिस घर में लक्ष्मी पूजन पूरे श्रद्धा और शुद्धता से किया जाता है —
  • वहाँ ऋण, दरिद्रता, कलह और दुर्भाग्य का अंत होता है, और
  • समृद्धि, सौभाग्य व सफलता का आगमन होता है।
  • व्यापारी वर्ग इस दिन को नववर्षारंभ के रूप में भी मनाते हैं
  • पुराने बहीखातों का समापन और नए बहीखातों (लेखा पुस्तकों) का उद्घाटन “चोपड़ा पूजन” के रूप में करते हैं,
  • जिससे आने वाले वर्ष में व्यवसाय में वृद्धि हो।

लक्ष्मी पूजा का महत्व

लक्ष्मी पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से अत्यंत महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय माँ लक्ष्मी का उद्भव हुआ था, और तभी से उन्हें सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है।

लक्ष्मी पूजन के प्रमुख लाभ और महत्व:

  • घर और परिवार में धन और समृद्धि की वृद्धि होती है।
  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का संचार होता है।
  • व्यवसाय में लाभ और प्रगति का मार्ग खुलता है।
  • कष्ट, क्लेश और दरिद्रता का नाश होता है।
  • देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश, कुबेर और विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है।
  • इस दिन दीप जलाने का भी विशेष महत्व है।
  • यह दीप केवल घर को आलोकित नहीं करते, बल्कि अंधकार, अज्ञान और नकारात्मकता को भी दूर करते हैं।

लक्ष्मी पूजा के नियम, लाभ और इस दिन के विशेष उपाय

लक्ष्मी पूजा के नियम

लक्ष्मी पूजा के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना अत्यंत शुभ माना गया है

स्नान व स्वच्छता: प्रातः स्नान कर घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि माँ लक्ष्मी स्वच्छ और सुगंधित स्थान पर ही निवास करती हैं। घर का द्वार सजाएँ: घर के मुख्य द्वार पर आम्रपल्लव और तोरण लगाएँ, दीपक जलाएँ और रंगोली बनाकर माँ लक्ष्मी का स्वागत करें। नवीन वस्त्र धारण करें: लक्ष्मी पूजा के समय साफ और नए या धुले हुए वस्त्र पहनें। स्थिर लग्न में पूजन: ज्योतिष के अनुसार स्थिर लग्न (विशेषकर वृषभ लग्न) में पूजन करने से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद स्थायी होता है। संपूर्ण परिवार का साथ: लक्ष्मी पूजा पूरे परिवार के साथ करें, ताकि सामूहिक रूप से घर में धन, सौभाग्य और समृद्धि का वास बने।

लक्ष्मी पूजा के लाभ

  • माँ लक्ष्मी की आराधना से न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में अनेक प्रकार के शुभ फल प्राप्त होते हैं —
  • दरिद्रता, ऋण और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
  • घर-परिवार में सौभाग्य, शांति और संतोष का वातावरण बनता है।
  • व्यवसाय या नौकरी में उन्नति होती है।
  • धन के साथ-साथ बुद्धि, विवेक और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • घर में सदैव लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।

लक्ष्मी पूजा के दिन करें ये विशेष उपाय

लक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें - इस दिन लक्ष्मी यंत्र को शुद्ध घी और कुंकुम से पूजन कर घर में स्थापित करें। शंख में जल चढ़ाएँ - शंख में गंगाजल भरकर माँ लक्ष्मी को अर्पित करने से नकारात्मकता दूर होती है। 108 दीपक जलाएँ - संध्या समय 108 दीपक जलाकर घर के प्रत्येक कोने में रखें। इससे अंधकार और अशुभता का नाश होता है। लक्ष्मी मंत्र का जप करें - “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” का 108 बार जप अत्यंत फलदायी होता है। कुबेर पूजन करें - भगवान कुबेर की भी पूजा करें, क्योंकि वे धन के रक्षक माने जाते हैं।

लक्ष्मी पूजा के दिन क्या न करें

  • घर में झगड़ा या ऊँची आवाज़ में बोलने से बचें।
  • झाड़ू या बर्तन रात में न चलाएँ।
  • नकारात्मक विचार या किसी के प्रति बुरा सोचने से परहेज करें।
  • अशुद्ध अवस्था में पूजा स्थल में प्रवेश न करें।
  • लक्ष्मी पूजा का यह पावन दिन केवल धन प्राप्ति का नहीं, बल्कि मन की शांति, परिवार की सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के आगमन का पर्व है। श्रद्धा और शुद्धता से की गई पूजा से माँ लक्ष्मी की कृपा सदैव आपके घर में बनी रहती है।
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Published by Sri Mandir·October 13, 2025

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