
जानें चंद्र भगवान के 108 नाम जो मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आशीर्वाद देते हैं।
108 चंद्र भगवान के नामों का जाप करने से मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और मनोबल में वृद्धि होती है। यह जाप व्यक्ति को तनावमुक्त करता है और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। चंद्र देव की कृपा से दांपत्य जीवन में सौहार्द बढ़ता है और संबंध मधुर बनते हैं।
भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रदेव को सनातन धर्म में पूजनीय स्थान प्राप्त है। निशा के घनघोर अंधेरे में जग को अपनी रोशनी से प्रकाशमान करने वाले चंद्रमा को वैज्ञानिक, आध्यात्मिक व ज्योतिष दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। चंद्रमा का मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव इतना शक्तिशाली है कि इसके बिना जीवन की गति और उद्देश्य अधूरे होते हैं।
जहां ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है, वहीं चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वह जातक की चंद्र राशि कहलाती है। चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति की मानसिक स्थिति, भावना, और उसकी सूक्ष्म चेतना पर गहरा होता है।
चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इनका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है, परंतु इनकी गति सबसे तेज़ होती है, जिसके कारण इनकी गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करते हैं। यही कारण है कि चंद्रमा के प्रभाव के कारण व्यक्ति के मनोविकार और आंतरिक स्थिति बहुत जल्दी बदल सकते हैं।
हमारे मन के अधिष्ठाता कहलाने वाले चंद्रदेव, व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। हमारी आकांक्षाएं, आचरण और अवचेतन मन चंद्रमा द्वारा ही नियंत्रित होते हैं। चंद्रमा का मानसिक प्रभाव इतना गहरा होता है कि यह व्यक्ति के सोचने और समझने के तरीके को भी प्रभावित करता है। यही कारण है कि चंद्रदेव की पूजा और मंत्र जाप व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करने में सहायक होते हैं। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से स्थिर और सुखी रहता है, वहीं अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो वह मानसिक रूप से कमजोर और अस्थिर होता है। मानसिक अस्थिरता के कारण व्यक्ति जीवन में कई परेशानियों का सामना करता है, और उसका आंतरिक संतुलन बिगड़ सकता है।
इसलिए शास्त्रों में मन को शांत, स्थिर और संतुलित रखने के लिए चंद्रदेव के मंत्रों के जाप को लाभदायक माना गया है। चंद्रदेव के 108 नाम व मंत्रों का उच्चारण करने से उनकी कृपा जातकों पर बनी रहती है। इससे सोच में सकारात्मकता आती है, भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण रहता है, साथ ही सृजनात्मकता बढ़ती है। इसके अतिरिक्त, चंद्रदेव की आराधना व उनके नाम के जाप से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।
चलिए, अब जानते हैं कि इस नामावली और मंत्रों का उच्चारण करने की सही विधि: आप सुबह प्रातःकाल उठकर, स्नानादि करके, दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर, मंदिर में चंद्रदेव के चित्र के सामने इस नामावली का उच्चारण कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, पूर्णिमा की रात चंद्र उदय के बाद चांदी के लोटे से चंद्र को दूध और जल का अर्घ्य अर्पित करने के पश्चात भी आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन इन मंत्रों के उच्चारण से जो कंपन उत्पन्न होते हैं, वे चंद्रमा की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
| S No | मंत्र |
| 1 | ॐ श्रीमते नमः। |
| 2 | ॐ शशधराय नमः। |
| 3 | ॐ चन्द्राय नमः। |
| 4 | ॐ ताराधीशाय नमः। |
| 5 | ॐ निशाकराय नमः। |
| 6 | ॐ सुधानिधये नमः। |
| 7 | ॐ सदाराध्याय नमः। |
| 8 | ॐ सत्पतये नमः। |
| 9 | ॐ साधुपूजिताय नमः। |
| 10 | ॐ जितेन्द्रियाय नमः। |
| 11 | ॐ जयोद्योगाय नमः। |
| 12 | ॐ ज्योतिश्चक्रप्रवर्तकाय नमः। |
| 13 | ॐ विकर्तनानुजाय नमः। |
| 14 | ॐ वीराय नमः। |
| 15 | ॐ विश्वेशाय नमः। |
| 16 | ॐ विदुषां पतये नमः। |
| 17 | ॐ दोषाकराय नमः। |
| 18 | ॐ दुष्टदूराय नमः। |
| 19 | ॐ पुष्टिमते नमः। |
| 20 | ॐ शिष्टपालकाय नमः। |
| 21 | ॐ अष्टमूर्तिप्रियाय नमः। |
| 22 | ॐ अनन्ताय नमः। |
| 23 | ॐ कष्टदारुकुठारकाय नमः। |
| 24 | ॐ स्वप्रकाशाय नमः। |
| 25 | ॐ प्रकाशात्मने नमः। |
| 26 | ॐ द्युचराय नमः। |
| 27 | ॐ देवभोजनाय नमः। |
| 28 | ॐ कलाधराय नमः। |
| 29 | ॐ कालहेतवे नमः। |
| 30 | ॐ कामकृते नमः। |
| 31 | ॐ कामदायकाय नमः। |
| 32 | ॐ मृत्युसंहारकाय नमः। |
| 33 | ॐ अमर्त्याय नमः। |
| 34 | ॐ नित्यानुष्ठानदाय नमः। |
| 35 | ॐ क्षपाकराय नमः। |
| 36 | ॐ क्षीणपापाय नमः। |
| 37 | ॐ क्षयवृद्धिसमन्विताय नमः। |
| 38 | ॐ जैवातृकाय नमः। |
| 39 | ॐ शुचये नमः। |
| 40 | ॐ शुभ्राय नमः। |
| 41 | ॐ जयिने नमः। |
| 42 | ॐ जयफलप्रदाय नमः। |
| 43 | ॐ सुधामयाय नमः। |
| 44 | ॐ सुरस्वामिने नमः। |
| 45 | ॐ भक्तानामिष्टदायकाय नमः। |
| 46 | ॐ भुक्तिदाय नमः। |
| 47 | ॐ मुक्तिदाय नमः। |
| 48 | ॐ भद्राय नमः। |
| 49 | ॐ भक्तदारिद्र्यभञ्जनाय नमः। |
| 50 | ॐ सामगानप्रियाय नमः। |
| 51 | ॐ सर्वरक्षकाय नमः। |
| 52 | ॐ सागरोद्भवाय नमः। |
| 53 | ॐ भयान्तकृते नमः। |
| 54 | ॐ भक्तिगम्याय नमः। |
| 55 | ॐ भवबन्धविमोचकाय नमः। |
| 56 | ॐ जगत्प्रकाशकिरणाय नमः। |
| 57 | ॐ जगदानन्दकारणाय नमः। |
| 58 | ॐ निस्सपत्नाय नमः। |
| 59 | ॐ निराहाराय नमः। |
| 60 | ॐ निर्विकाराय नमः। |
| 61 | ॐ निरामयाय नमः। |
| 62 | ॐ भूच्छायाच्छादिताय नमः। |
| 63 | ॐ भव्याय नमः। |
| 64 | ॐ भुवनप्रतिपालकाय नमः। |
| 65 | ॐ सकलार्तिहराय नमः। |
| 66 | ॐ सौम्यजनकाय नमः। |
| 67 | ॐ साधुवन्दिताय नमः। |
| 68 | ॐ सर्वागमज्ञाय नमः। |
| 69 | ॐ सर्वज्ञाय नमः। |
| 70 | ॐ सनकादिमुनिस्तुताय नमः। |
| 71 | ॐ सितच्छत्रध्वजोपेताय नमः। |
| 72 | ॐ सिताङ्गाय नमः। |
| 73 | ॐ सितभूषणाय नमः। |
| 74 | ॐ श्वेतमाल्याम्बरधराय नमः। |
| 75 | ॐ श्वेतगन्धानुलेपनाय नमः। |
| 76 | ॐ दशाश्वरथसंरूढाय नमः। |
| 77 | ॐ दण्डपाणये नमः। |
| 78 | ॐ धनुर्धराय नमः। |
| 79 | ॐ कुन्दपुष्पोज्ज्वलाकाराय नमः। |
| 80 | ॐ नयनाब्जसमुद्भवाय नमः। |
| 81 | ॐ आत्रेयगोत्रजाय नमः। |
| 82 | ॐ अत्यन्तविनयाय नमः। |
| 83 | ॐ प्रियदायकाय नमः। |
| 84 | ॐ करुणारससम्पूर्णाय नमः। |
| 85 | ॐ कर्कटप्रभवे नमः। |
| 86 | ॐ अव्ययाय नमः। |
| 87 | ॐ चतुरश्रासनारूढाय नमः। |
| 88 | ॐ चतुराय नमः। |
| 89 | ॐ दिव्यवाहनाय नमः। |
| 90 | ॐ विवस्वन्मण्डलाज्ञेयवासाय नमः। |
| 91 | ॐ वसुसमृद्धिदाय नमः। |
| 92 | ॐ महेश्वरप्रियाय नमः। |
| 93 | ॐ दान्ताय नमः। |
| 94 | ॐ मेरुगोत्रप्रदक्षिणाय नमः। |
| 95 | ॐ ग्रहमण्डलमध्यस्थाय नमः। |
| 96 | ॐ ग्रसितार्काय नमः। |
| 97 | ॐ ग्रहाधिपाय नमः। |
| 98 | ॐ द्विजराजाय नमः। |
| 99 | ॐ द्युतिलकाय नमः। |
| 100 | ॐ द्विभुजाय नमः। |
| 101 | ॐ द्विजपूजिताय नमः। |
| 102 | ॐ औदुम्बरनगावासाय नमः। |
| 103 | ॐ उदाराय नमः। |
| 104 | ॐ रोहिणीपतये नमः। |
| 105 | ॐ नित्योदयाय नमः। |
| 106 | ॐ मुनिस्तुत्याय नमः। |
| 107 | ॐ नित्यानन्दफलप्रदाय नमः। |
| 108 | ॐ सकलाह्लादनकराय नमः। |
उपरोक्त चंद्र मंत्र का जाप आपकी चिंता को शांत करने में सहायक हो सकते हैं, वर्तमान समस्याओं से निपटने का साहस प्रधान कर सकते हैं और साथ मानसिक शांति में वृद्धि ला सकते हैं, जिससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा। हमारी आशा है कि भगवान शिव और चंद्रदेव की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे।
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