भक्तों की रक्षा करने वाली मां वैष्णो देवी की स्तुति करें वैष्णो देवी चालीसा के माध्यम से। नित्य पाठ से मन को मिलती है शांति और हर कार्य में आता है शुभ प्रभाव।
वैष्णो देवी चालीसा माँ वैष्णो देवी की स्तुति है, जिसे पढ़ने से डर, चिंता और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। माना जाता है कि माता रानी की कृपा से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इस लेख में जानिए चालीसा का पाठ, इसका महत्व, पाठ विधि और इससे होने वाले लाभ।
भारत की पवित्र भूमि पर अनेक शक्तिपीठ हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित श्री वैष्णो देवी धाम प्रमुख है। हर साल लाखों श्रद्धालु दुर्गम यात्रा कर माँ के दर्शन करते हैं। माँ की भक्ति का सरल और शक्तिशाली माध्यम है वैष्णो देवी चालीसा, जो केवल 40 चौपाइयों का संग्रह नहीं, बल्कि माँ की महिमा, शक्ति और कृपा का स्तोत्र है। इसमें माँ के तीनों स्वरूप महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली का वर्णन मिलता है। इसका पाठ भक्तों को माँ से गहरा आध्यात्मिक संबंध जोड़ने, शांति व सकारात्मकता पाने का माध्यम बनता है।
वैष्णो देवी चालीसा का पाठ करने के कई महत्वपूर्ण कारण और लाभ हैं।
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकुटा पर्वत धाम।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम॥
नमो नमो वैष्णो वरदानी, कलि काल में शुभ कल्याणी।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी, पिंडी रूप में हो अवतारी॥
देवी देवता अंश दियो है, रत्नाकर घर जन्म लियो है।
करी तपस्या राम को पाऊँ, त्रेता की शक्ति कहलाऊँ॥
कहा राम मणि पर्वत जाओ, कलयुग की देवी कहलाओ।
विष्णु रूप से कल्कि बनकर, लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥
तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ, गुफा अंधेरी जाकर पाओ।
काली-लक्ष्मी-सरस्वती माँ, करेंगी पोषण-पार्वती माँ॥
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे, हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें, कलियुग-वासी पूजत आवें॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल, चरणामृत चरणों का निर्मल।
दिया फलित वर माँ मुस्काई, करन तपस्या पर्वत आई॥
कलि काल की भड़की ज्वाला, इक दिन अपना रूप निकाला।
कन्या बन नगरोटा आई, योगी भैरों दिया दिखाई॥
रूप देख सुंदर ललचाया, पीछे-पीछे भागा आया।
कन्याओं के साथ मिली माँ, कौल-कंदौली तभी चली माँ॥
देवा माई दर्शन दीना, पवन रूप हो गई प्रवीणा।
नवरात्रों में लीला रचाई, भक्त श्रीधर के घर आई॥
योगिन को भण्डारा दीनी, सबने रुचिकर भोजन कीना।
मांस मदिरा भैरों मांगी, रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥
बाण मारकर गंगा निकाली, पर्वत भागी हो मतवाली।
चरण रखे आए एक शिला जब, चरण पादुका नाम पड़ा तब॥
पीछे भैरव था बलकारी, छोटी गुफा में जाय पधारी।
नौ माह तक किया निवासा, चली फोड़कर किया प्रकाशा॥
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी, कहलाए आदि कुंवारी।
गुफा द्वार पहुंची मुस्काई, लांगू वीर ने आज्ञा पाई॥
भागा भागा भैरों आया, रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।
पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर, किया क्षमा जा दिया उसे वर॥
अपने संग में पुजवाऊंगी, भैंरो घाटी बनवाऊंगी।
पहले मेरा दर्शन होगा, पीछे तेरा सुमिरन होगा॥
बैठ गई माँ पिंडी होकर, चरणों में बहता जल झर-झर।
चौंसठ योगिनी-भैंरो बर्वत, सप्तऋषि आ करते सुमरन॥
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे, गुफा निराली सुंदर लागे।
भक्त श्रीधर पूजन कीन, भक्ति सेवा का वर लीन॥
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याना, ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।
सिंह सदा दर पहरा देता, पंजा शेर का दुख हर लेता॥
जम्बू द्वीप महाराज मनाया, सर सोने का छत्र चढ़ाया।
हीरे की मूरत संग प्यारी, जगे अखंड इक जोत तुम्हारी॥
आश्विन चैत्र नवराते आऊं, पिंडी रानी दर्शन पाऊं।
सेवक ‘शर्मा‘ शरण तिहारी, हरो वैष्णो विपत हमारी॥
कलयुग में महिमा तेरी, है माँ अपरंपार।
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार॥
वैष्णो देवी चालीसा का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों और विधि का पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
पवित्रता: पाठ से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें
स्थान: शांत, पवित्र और साफ स्थान पर बैठकर पाठ करें, माँ वैष्णो देवी का ध्यान करते हुए, पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें
संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना के लिए माँ से प्रार्थना करें और चालीसा पाठ का संकल्प लें
पूजा सामग्री: यदि संभव हो, तो माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, दीपक जलाएं, धूपबत्ती लगाएं और कुछ फूल अर्पित करें
पाठ: चालीसा का पाठ स्पष्ट उच्चारण के साथ और भक्तिभाव से करें। कम से कम एक बार या 11, 21, 51, या 108 बार पाठ करना शुभ माना जाता है
समय: सुबह या शाम को नियमित समय पर पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान या मंगलवार/शुक्रवार को पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है
समर्पण: पाठ के अंत में, अपनी प्रार्थना माँ को समर्पित करें और जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें
वैष्णो देवी चालीसा का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
यदि आप वैष्णो देवी की यात्रा पर जा रहे हैं, तो चालीसा का पाठ यात्रा को सुरक्षित और सफल बनाता है।
Did you like this article?
दस महाविद्याओं में एक, मातंगी देवी की कृपा पाने के लिए पढ़ें संपूर्ण मातंगी चालीसा। सरल हिंदी में पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है वाणी की सिद्धि, ज्ञान और कलात्मक ऊर्जा।
संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए पढ़ें अहोई माता चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है मां अहोई की विशेष कृपा।
संतान सुख, आरोग्य और समृद्धि के लिए पढ़ें छठी मैया चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध संपूर्ण पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है छठी माता की कृपा और जीवन में सुख-शांति।