इस चालीसा के नियमित पाठ से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।
भारत देश महापुरुषों, वीरांगनाओ और गुरुओं का देश है। यहां पर समय समय पर इन महानुभाओं ने जन्म लिया और देश में धर्म का मान बढ़ाने का कार्य किया। उनमें से ही एक वीरांगना है राणी सती दादीजी जो राजस्थान के एक सुंदर से शहर झुंझुनू में विराजित है। जो कि अपनी वीर गाथाओं के कारण प्रसिद्ध है और इसी झुंझुनू शहर में उनका विशाल भव्य मंदिर बना हुआ है। जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने को आते हैं और मंदिर में पूजा, आरती और चालीसा का पाठ करते है। तो आइए आज हम भी करते हैं राणी सती दादीजी की चालीसा (Rani Sati Dadi Chalisa) का पाठ हैं।
अब कोई व्यक्ति रोज राणी सती दादीजी के चालीसा का पाठ करता हैं और उनका ध्यान करता है, उसे दादीजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही उसके अंदर शत्रुओं से निपटने की शक्ति विकसित होती है। जीवन में जो भी विपदाएं या संकट आ रहे थे, उन्हें सुलझाने के मार्ग खुल जाते है। राणी सती दादी जी की चालीसा के माध्यम से व्यक्ति का मानसिक विकास तेजी से होता है और वह साहसी एवं निडर बनता है।
श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I
राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार II
काम क्रोध मद लोभ में, भरम रह्यो संसार I
शरण गहि करूणा मई, सुख सम्पति संसार II
नमो: नमो: श्री सती भवानी, जग विख्यात सभी मन मानी I
नमो: नमो: संकट को हरनी, मनवांछित पूरण सब करनी II (१)
नमो: नमो: जय जय जगदंबा, भक्तन काज न होय विलंबा।
नमो: नमो: जय जय जगतारिणी, सेवक जन के काज सुधारिणी II (२)
दिव्य रूप सिर चूनर सोहे, जगमगात कुन्डल मन मोहे I
मांग सिंदूर सुकाजर टीकी, गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी II (३)
गल वैजंती माला विराजे, सोलहूं साज बदन पे साजे I
धन्य भाग गुरसामलजी को, महम डोकवा जन्म सती को II (४)
तन धनदास पति वर पाये, आनंद मंगल होत सवाये I
जालीराम पुत्र वधु होके, वंश पवित्र किया कुल दोके II (५)
पति देव रण मॉय जुझारे, सति रूप हो शत्रु संहारे I
पति संग ले सद् गती पाई , सुर मन हर्ष सुमन बरसाई II (६)
धन्य भाग उस राणा जी को, सुफल हुवा कर दरस सती का I
विक्रम तेरह सौ बावन कूं, मंगसिर बदी नोमी मंगल कूं II (७)
नगर झून्झूनू प्रगटी माता, जग विख्यात सुमंगल दाता I
दूर देश के यात्री आवे, धुप दिप नेवैध्य चढावे II (८)
उछाड़ उछाड़ते है आनंद से, पूजा तन मन धन श्रीफल से I
जात जङूला रात जगावे, बांसल गोत्री सभी मनावे II (९)
पूजन पाठ पठन द्विज करते, वेद ध्वनि मुख से उच्चरते I
नाना भाँति भाँति पकवाना, विप्र जनो को न्यूत जिमाना II (१०)
श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते, सेवक मनवांछित फल पाते I
जय जय कार करे नर नारी, श्री राणी सतीजी की बलिहारी II (११)
द्वार कोट नित नौबत बाजे, होत सिंगार साज अति साजे I
रत्न सिंघासन झलके नीको, पलपल छिनछिन ध्यान सती को II (१२)
भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला, भरता मेला रंग रंगीला I
भक्त सूजन की सकल भीड़ है, दरशन के हित नही छीड़ है II (१३)
अटल भुवन मे ज्योति तिहारी, तेज पूंज जग मग उजियारी I
आदि शक्ति मे मिली ज्योति है, देश देश मे भवन भौति है II (१४)
नाना विधी से पूजा करते, निश दिन ध्यान तिहारो धरते I
कष्ट निवारिणी दु:ख नासिनी, करूणामयी झुन्झुनू वासिनी II (15)
प्रथम सती नारायणी नामा, द्वादश और हुई इस धामा I
तिहूं लोक मे कीरति छाई, राणी सतीजी की फिरी दुहाई II (१६)
सुबह शाम आरती उतारे, नौबत घंटा ध्वनि टंकारे I
राग छत्तीसों बाजा बाजे, तेरहु मंड सुन्दर अति साजे II (१७)
त्राहि त्राहि मैं शरण आपकी, पुरी मन की आस दास की I
मुझको एक भरोसो तेरो, आन सुधारो मैया कारज मेरो II (१८)
पूजा जप तप नेम न जानू, निर्मल महिमा नित्य बखानू I
भक्तन की आपत्ति हर लिनी, पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी II (१९)
पढे चालीसा जो शतबारा, होय सिद्ध मन माहि विचारा I
टाबरिया ली शरण तिहारी, क्षमा करो सब भूल चूक हमारी II (२०)
दु:ख आपद विपदा हरण, जन जीवन आधार I
बिगड़ी बात सुधारियो, सब अपराध बिसार II
॥ इति श्री राणी सती दादी चालीसा सम्पूर्ण ॥
राणी सती दादी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह पाठ विशेष रूप से साहस, आत्मविश्वास और शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। राणी सती दादी को अद्वितीय वीरता और नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए उनके चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में निडरता, संकल्प शक्ति और आत्मबल की वृद्धि होती है। जिन लोगों को अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें इस चालीसा का पाठ करने से मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा, यह पाठ परिवार की रक्षा, सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है।
राणी सती दादी चालीसा का पाठ करने के लिए बुधवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। विशेष रूप से अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों पर इस पाठ को करना अधिक फलदायी होता है। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में पाठ करना उत्तम रहता है, क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है। यदि प्रातःकाल पाठ संभव न हो तो संध्या समय, सूर्यास्त के बाद भी इसे किया जा सकता है।
राणी सती दादी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस पाठ से घर के सदस्यों में आपसी प्रेम और सौहार्द बना रहता है। राणी सती दादी को कुलदेवी के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए उनका आशीर्वाद पाने से घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता प्रवेश नहीं करती।
राणी सती दादी चालीसा का पाठ करने से साहस, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प में वृद्धि होती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है, जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं या अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। यह चालीसा व्यक्ति को मानसिक बल और आत्मनिर्भरता प्रदान करती है, जिससे वह अपने लक्ष्यों की ओर बिना किसी भय के अग्रसर हो सके।
राणी सती दादी चालीसा का पाठ करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए। पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक होता है। पाठ के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनना चाहिए, जहाँ बाहरी व्यवधान न हो। दीप जलाकर, पुष्प अर्पित करके और प्रसाद चढ़ाकर पाठ करना विशेष फलदायी होता है। पाठ के बाद आरती करना और प्रसाद का वितरण करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, यदि कोई विशेष मनोकामना के लिए यह पाठ कर रहा है, तो उसे पूर्ण नियम और संयम का पालन करते हुए इसे 11, 21 या 51 दिनों तक करना चाहिए।
क्या आप राणी सती दादी की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि पाना चाहते हैं? यहाँ आपको श्री राणी सती दादी चालीसा का शुद्ध और स्पष्ट पाठ मिलेगा, जिसे आप बिना किसी बाधा के पढ़ सकते हैं और आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
PDF डाउनलोड करें: ऊपर दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें और श्री राणी सती दादी चालीसा को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करें।
पेज को बुकमार्क करें: इस पेज को सेव कर लें ताकि जब भी दादी जी की आराधना करनी हो, आपको चालीसा तुरंत मिल जाए।
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राणी सती दादी की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शक्ति बनी रहे! जय दादी जी!
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