कार्तिकेय चालीसा
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कार्तिकेय चालीसा

मुरुगन स्वामी और देवसेना के अधिपति भगवान कार्तिकेय को समर्पित चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करें। इससे जीवन में आता है पराक्रम, आत्मबल और शत्रुनाशक शक्ति।

कार्तिकेय चालीसा के बारे में

कार्तिकेय चालीसा भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, सेनापति देव कार्तिकेय को समर्पित स्तोत्र है। इसके पाठ से साहस, विजय, बल और बाधाओं से मुक्ति की प्राप्ति होती है। भक्त विशेष रूप से मंगलवार और कार्तिक मास में इसका पाठ करते हैं। इस लेख में जानिए कार्तिकेय चालीसा का महत्व, पाठ विधि और इसके पाठ से मिलने वाले लाभ।

कार्तिकेय चालीसा क्या है?

शक्ति व पराक्रम के देवता ‘भगवान कार्तिकेय’ को स्कंद, मुरुगन, सुब्रमण्य और कुमार स्वामी जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है। विशेषकर दक्षिण भारत में कार्तिकेय की पूजा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है, वहीं उत्तर भारत में भी उनके प्रति आस्था रखने वाले भक्तों की संख्या कम नहीं है।

‘कार्तिकेय चालीसा’ भगवान कार्तिकेय की स्तुति में रचित एक विशेष प्रार्थना है, जिसमें उनके रूप, शक्ति, गुण, लीला और भक्तों पर होने वाली कृपा का विस्तार से वर्णन मिलता है। यह चालीसा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जाती है जो जीवन में साहस, आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और समस्याओं पर विजय की कामना करते हैं।

चालीसा में वर्णन है कि जिस प्रकार भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर जैसे दुष्ट असुर का वध कर देवताओं की रक्षा की, वैसे ही वे संकट में पड़े अपने हर भक्त की सहायता करते हैं। स्कंद पुराण, महाभारत और शिव पुराण जैसे प्रमुख ग्रंथों में भगवान कार्तिकेय की लीलाओं का वर्णन मिलता है।

कार्तिकेय चालीसा का पाठ क्यों करें?

यह माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय युद्ध और जीत के देवता हैं। उनके चालीसा का पाठ करने से मन में हिम्मत, आत्मविश्वास और निडरता आती है। अगर कोई व्यक्ति किसी मुश्किल समय से गुजर रहा हो, डर या उलझन में हो, या किसी फैसले को लेकर असमंजस में हो, तो कार्तिकेय चालीसा उसके लिए बहुत सहारा बन सकती है।

अगर घर में कलह चल रही हो, परीक्षा का तनाव हो, नौकरी या व्यापार में मुकाबला हो, या दुश्मनों से सुरक्षा की चिंता हो, तो ऐसे समय में यह चालीसा एक मजबूत ढाल की तरह काम करती है। विशेष रूप से युवा वर्ग, विद्यार्थी, सैनिक, पुलिस कर्मी, और प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत लोग इस चालीसा के माध्यम से मानसिक शक्ति और साहस कि प्राप्ति कर सकते हैं।

यह भी मान्यता है कि यह चालीसा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए भी शुभ फलदायी होती है, क्योंकि भगवान कार्तिकेय को ‘कुमार’ और ‘बालरूप’ में भी पूजा जाता है।

कार्तिकेय चालीसा

॥ दोहा ॥

जय जय जय कार्तिकेय,

शंकर-सुवन कृपाल।

शिवदत्तं सुत तेहि,

तात मेटहु सब विकार॥

॥ चौपाई ॥

जय जय श्री कार्तिकेय स्वामी।

जय शिवसुत, भक्त सुखधामी॥

महिमा अपार आपकी गाई।

संतन को शक्ति प्रभु पाई॥

शिव शिवा तनय बालक प्यारे।

कार्तिकेय सुखधाम हमारे॥

ध्वजा धारण कर दुर्जन मारो।

भक्तों का दुख हरन निवारो॥

गजमुख दैत संहारक तुम्ह हो।

तारकासुर विदारक तुम्ह हो॥

मोदक प्रिय, मन भायो भोजन।

कुमुद पाठ प्रिय, भव रंजन॥

सिंह वाहिनी, ध्वजा तुम धारी।

दुष्टों का दल करहो संहारी॥

शिव के सुत तुम, शक्ति के धामा।

जय कार्तिकेय, जय जय नामा॥

सुमुख नंदन, तारक भ्राता।

शिव समान सदा सुजाता॥

मातु पार्वती तव नाम पुकारो।

पुत्र सखा सबहि उबारो॥

शक्ति रूप हो, विनायक भ्राता।

शिव-शिवा के, कुल के गाता॥

पार्वती के पुत्र प्यारे।

तारकासुर विदारक न्यारे॥

भक्तों के तुम विपत्ति हरो।

जय जय जय कार्तिकेय करो॥

गणपति के प्रिय, तारक नंदन।

शिव शिवा के लाड़ले बंदन।

तारकासुर का संहारक तुम हो।

दुःखों का दल हारक तुम हो।

करहु कृपा हम पर प्रभु प्यारे।

सकल दुखों को हरणवारे।

जय जय श्री कार्तिकेय भगवान।

सदा सुखधाम, सब दुख निधान॥

॥ दोहा ॥

शरणागत जन नाथ तुहि,

सेवक सेवक दासा।

करुणा करि रक्षा करो,

श्री कार्तिकेय त्रिनाथ॥

पाठ की विधि और नियम

कार्तिकेय चालीसा का पाठ अत्यंत सरल है, परंतु इसमें शुद्धता, श्रद्धा और ध्यान का विशेष महत्व है। यदि आप इस चालीसा का नियमित पाठ करना चाहते हैं, तो नीचे दी गई विधियों और नियमों का पालन करें:

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • पूजा स्थल को साफ कर वहाँ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  • दीपक जलाएं, पुष्प, अक्षत और सिंदूर अर्पित करें।

  • लाल वस्त्र पहनकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

  • फिर एकाग्र चित्त होकर कार्तिकेय चालीसा का पाठ करें।

  • पाठ के बाद भगवान से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

  • विशेष रूप से मंगलवार, गुरुवार और षष्ठी तिथि को कार्तिकेय चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है। दक्षिण भारत में थाई पूसम और स्कंद षष्ठी जैसे पर्वों पर भी यह पाठ विशेष रूप से किया जाता है।

कार्तिकेय चालीसा के लाभ

  • कार्तिकेय चालीसा का पाठ करने से भय, असमंजस और स्वयं पर संदेह से मुक्ति मिलती है।

  • शत्रुओं से रक्षा होती है और उनपर विजय प्राप्त होती है।

  • विद्यार्थियों की पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ती है, साथ ही आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी होती है।

  • पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव और अवसाद में राहत मिलती है।

  • संतान सुख, विशेषकर पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को विशेष फल मिलता है।

  • विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।

ये थी कार्तिकेय चालीसा से जुड़ी विशेष जानकारी। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा से कार्तिकेय चालीसा का पाठ करते हैं, उन पर भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा बनी रहती है और जीवन में हर मुश्किल समय में कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आता है।

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Published by Sri Mandir·September 21, 2025

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