जगन्नाथ चालीसा
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जगन्नाथ चालीसा

जग के नाथ, विष्णु अवतार भगवान जगन्नाथ की स्तुति करें श्रद्धा से जगन्नाथ चालीसा के माध्यम से। इसके पाठ से जीवन में आता है समर्पण, शुद्धता और आत्मिक संतुलन।

जगन्नाथ चालीसा के बारे में

जगन्नाथ चालीसा भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें 40 चौपाइयों और एक दोहे के माध्यम से भगवान जगन्नाथ की महिमा, उनके दिव्य स्वरूप, चमत्कार और भक्तों पर किए गए उपकारों का वर्णन किया गया है। भगवान जगन्नाथ, श्रीकृष्ण के रूप में, अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ उड़ीसा के पुरी में विराजमान हैं और उनकी रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है।

जगन्नाथ चालीसा क्या है?

जगन्नाथ चालीसा भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक भक्तिमय स्तोत्र है, जिसमें कुल 40 चौपाईयाँ और एक दोहा शामिल हैं। यह चालीसा उनकी दया, करुणा और जगतपालक स्वरूप का सुंदर विवरण प्रस्तुत करती है। झंकारदार लय में रचित इन चौपाइयों का पाठ करने से भक्तों के हृदय में जगन्नाथ जी के प्रति अटूट भक्ति, आस्था उत्पन्न होती है और जीवन की परेशानियाँ शांत होती हैं।

विशेषकर रथयात्रा के पर्व पर, जब पुरी से जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है, तब इस चालीसा का सामूहिक पाठ और कीर्तन भक्तमंडल को एक नई ऊँचाई पर ले जाता है। नियमित पाठ से मानसिक तनाव कम होता है, आंतरिक शांति मिलती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। चाहे घर पर अकेले, मंदिर में या भक्तमंडली में मिलजुलकर, श्रद्धापूर्वक जगन्नाथ चालीसा का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है।

जगन्नाथ चालीसा का पाठ क्यों करें?

  • संकट मोचन: नियमित पाठ से जीवन की सभी बाधाएँ और दुख दूर होते हैं।
  • मनोकामना पूर्ति: श्रद्धा सहित पाठ करने पर सभी इच्छित फल और आकांक्षाएँ पूरी होती हैं।
  • आंतरिक शांति: मंत्रों के उच्चारण से मानसिक तनाव कम होकर संतुलन और शांति मिलती है।
  • भक्ति भाव: भक्तिमय लय में पाठ करने से जगन्नाथ जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति गहरी होती है।
  • सामूहिक ऊर्जा: एक साथ पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होकर समूह में एकता बढ़ती है।
  • आस्था वृद्धि: चालीसा का स्मरण आस्था को दृढ़ बनाकर विश्वास को मजबूती देता है।
  • आर्थिक समृद्धि: पाठ से सुख-समृद्धि एवं आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
  • सांस्कृतिक धरोहर: यह स्तोत्र भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को सहेजने में सहायक है।
  • रथयात्रा पुण्य: पुरी रथयात्रा के अवसर पर सामूहिक पाठ से विशेष धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: निरंतर पाठ आत्मशुद्धि कर उच्चतर आध्यात्मिक अनुभव और ज्ञान प्रदान करता है।

जगन्नाथ चालीसा

॥दोहा॥

जय जगन्नाथ स्वामी जय बलभद्र संभाव।

जय सुबद्रा ताई अग्या करैं सब काज॥

॥चालीसा॥

जय जगन्नाथ दयालु दया निधान।

करुणा रस सिन्धु नयन अन्धकार।।

कटकट धनुस विराजत शंखाधार।

मुख में कमल नैनन में चकार।।

कनकमय शीश नव चारु चंद्र भाला।

नख सिखर छवि गंजित सोहे बाला।।

अरुणांचल मुकुट श्रिया सोहत नूप।

मुख में मुरली बनमाल अजरे।।

शंख बाजे मृदुँग बाजत ताल।

वज्रांकुश गदा शुभ बदन काल।।

रक्त अंग वस्त्र बिभूषण बाजत।

प्रतीत शोभित नील विशाल जाजत।।

आवत धावत तब जू तार गृहवत।

कारज सर्व करैं सुधीर बुधवत।।

शची जब भय भए सागर पार।

रामदास कहैं बेद बिख्यात।।

श्री जगन्नाथ चालीसा जो कोई।

गावैं पाठ करैं कलेश नखटाई।।

जो यह पाठ करे मन लाई।

तेस ही कृपा करहु जगदीश।।

॥दोहा॥

पवन तनय संकट हरण गोसाई।

कृपा द्रिष्टि तुम्हारी करहु विलासा।।

पाठ की विधि और नियम

  • उत्कृष्ट समय: ब्रह्ममुहूर्त में या शाम के आरती के समय पाठ करने से चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बनती है।

  • स्वच्छ वातावरण: पाठ से पहले स्थान, पूजा सामग्री और स्वयं को स्नानाकर शुद्ध रखें।

  • मूर्ति/चित्र पूजन: जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्ति/चित्र स्थापित करके जल-पूषण एवं पुष्प अर्पित करें।

  • उचित आसन: साफ कपड़ा या कुशा पर बैठकर स्थिर मुद्रा में ध्यान लगाएँ।

  • प्रार्थना-संकल्प: मन में दृढ़ निश्चय करें कि आप पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ पाठ करेंगे।

  • दोहे का उच्चारण: पाठ की शुरुआत में दोहा को ध्यानपूर्वक और भावपूर्ण बोलें।

  • चालीसा पाठ: सभी चौपाइयाँ निरंतर प्रवाह में, भावबोध के साथ पढ़ें।

  • उच्चारण की शुद्धता: शब्दों का स्पष्ट, संतुलित स्वर में और बिना हिचकिचाहट के उच्चारण करें।

  • जपमाला उपयोग: 108 मनकों वाली माला से पाठ की संख्या गिनें और गति एकरस रखें।

  • समापन एवं प्रसाद: अंत में आरती या भजन-कीर्तन कर प्रसाद अर्पित करें और हृदय से धन्यवाद व्यक्त करें।

जगन्नाथ चालीसा के लाभ

  • संपूर्ण रक्षण: पाठ के दौरान उच्चारित स्तोत्र से जीवन के हर पक्ष में सुरक्षात्मक ऊर्जा स्थापित होती है।

  • मानसिक संतुलन: नियमित जाप से मन में स्थिरता आती है और भावनात्मक उतार-चढ़ाव कम होते हैं।

  • धन-लाभ में वृद्ध‍ि: श्रद्धापूर्वक पाठ से धनसंपत्ति बढ़ती है और आर्थिक चुनौतियाँ सहजता से हल होती हैं।

  • संकट से मुक्ति: जीवन में आने वाली आकस्मिक परेशानियाँ तथा मानसिक तनाव शीघ्र दूर होते हैं।

  • आत्मविश्वास संवर्धन: भगवद्भक्ति से आत्मबल में वृद्धि होती है और निर्णय लेने की क्षमता प्रबल होती है।

  • सामूहिक एकता: समूह में पाठ करने से सामूहिक आद्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है और सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।

  • विवेक और बुद्धि: मंत्रों का जप मनोवेग को नियंत्रित कर बुद्धिमत्ता और विवेकशीलता को प्रोत्साहित करता है।

  • आध्यात्मिक अनुभव: शुद्ध मन से किए गए जाप से आत्मा को दिव्य अनुभूति और उन्नयन का अनुभव होता है।

  • पुण्य कमाई: रथयात्रा या किसी भी मंगलमय अवसर पर पाठ करने से विशेष धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • सर्वांगीण समृद्धि: भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक सभी स्तरों पर संतुलन व समृद्धि आती है।

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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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