मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप देवी चंद्रघंटा की स्तुति करें श्रद्धा और विश्वास से। चंद्रघंटा चालीसा के पाठ से जाग्रत होती है आंतरिक शक्ति, मिलती है शांति और भय से मुक्ति।
सिंह की सवारी, दस भुजाओं वाली और माथे पर अर्धचंद्र धारण करने वाली देवी चंद्रघंटा मां दुर्गा का तीसरा रूप हैं, जो शांति और कल्याण का संदेश देती हैं। वहीं, देवी की चालीसा भवसागर से पार लगाने वाली असीम कृपा का माध्यम है। इस लेख में जानिए चालीसा का महत्व, सही विधि और नियम तथा क्यों इसे नियमित पढ़ना चाहिए।
नव दुर्गा के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा को यह चंद्रघंटा चालीसा समर्पित है। चंद्रघंटा चालीसा का पाठ विशेष फलदायक माना जाता है। इस चालीसा में देवी की महिमा, उनके रूप, पराक्रम और करुणा का वर्णन है। इसके अलावा इस चालीसा में देवी चंद्रघंटा का सौंदर्य और शक्ति का गुणगान किया गया है। देवी की यह चालीसा साधक को न केवल शक्ति देती है बल्कि संकट के समय में उसकी रक्षा करके उसके जीवन को सुखमय बनाती है। इस पाठ से साधक की सारी व्याध बाधाएं दूर होती हैं।
चंद्रघंटा चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ मानसिक शांति, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों के सभी भय, कष्ट और बाधाओं को दूर करती हैं तथा उन्हें साहस प्रदान करती हैं। मां की चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। वहीं, नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से इस चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। यह साधना न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता भी प्रदान करती है।
चंद्रघंटा मां कल्याणी पावन है शुभ नाम
गौरा गिरजा रूप है
तीसरा सुन लो ज्ञान
चंद्रघंटा माता कल्याणी।
ममतामई माता वरदानी।।
गिरजा का ही रूप कहावे।
मैया भक्तों को अति भावे।।
साहस सब में देवी भरती।
संत जनों की रक्षा करती।।
देवों को विपदा से बचाया।
हाथों में था शस्त्र उठाया।।
वाहन सिंह की करे सवारी।
रौद्र रूप की महिमा भारी।।
कर में चक्र सुदर्शन धारी।
पापी रण में सकल पछाड़े।।
दुर्गा का भी रूप कहावे।
भक्तों की रक्षा को आवे।।
रण में भरती मा हुंकारा।
बल जग में है जिसका न्यारा।।
त्रेता में जब संकट छाया।
रौद्र रूप तब तुमने दिखाया।।
इंद्र सिंहासन असुरन छीना।
सोर बहुत सब हीने कीन्हा।।
महिषासुर दानव एक भारी।
देवों की सेना थी पछाड़ी।।
देवों ने तब ध्यान लगाया।
शिव ने शक्ति पुंज बनाया।।
गौरा ने तब रूप था धारा।
दुर्गा का कीन्हा विस्तारा।।
कर में तब घंटी थी सुहाई।
चंद्र घंटा मां तब कहलाई।।
घंटा रण में मात बजाया।
असुरन को तब मार गिराया।।
देवी ने हुंकार भरी थी।
साहस की ललकार भरी थी।।
महिषासुर का मर्दन कीन्हा।
मैया ने संकट हर लीन्हा।।
धर्म ध्वजा जग में लहरावे।
देवता सार थे हरसावे।।
चंद्रघंटा देवी थी कहावे।
दुर्गा बनके शक्ति दिखावे।।
रण में सारे असुर पछाड़े।
अस्त्र शस्त्र से दानव मारे।।
ग्रंथ कहे ऐसी भी कहानी।
संतो मुनियों ने है जानी।।
शिव जो हिमालय नगरी आए।।
भूत प्रेत और गण भी लाए।
अति भयंकर रूप विशाला।।
कोई मोटा और कोई काला।
देख के मुर्च्छित हो गई मैना।
भय से व्याकुल रोते नैना।।
देवी को ढंग समझ ना आया।
गौरा धारी थी तब काया।।
गौरा ने तब शक्ति दिखाई।
चंद्र घंटा तब बनी महामाई।।
घंटा भारी तब था बजाया।
शिव के गणों को डरा भगाया।।
शिव ने जब था रूप निहारा।
जाना शक्ति सकल पसारा।।
तब देवी चंद्रघंटा कहावे।
वार इनका सुहावे।।
कर में घंटी शोभित इनकी।
रूप पे सब है मोहित जिनकी।।
सिंह सवारी मात को प्यारी।
शोभित वृषभ की भी है सवारी।।
तीसरे दिन जो व्रत को धारे।
मैया सारे काज संवारे।।
देवी दुर्गा मात कहावे।
अभय मुद्रा में बड़ी सुहावे।।
जन-जन चोला लाल चढ़ावे।
मैया से आशीष भी पावे।।
फल फूलों से सजता द्वारा।
लगता द्वारा सबसे न्यारा।।
चंद्र घंटा देवी कल्याणी।
सुख से भरती मां वरदानी।।
मैया मंगल करने वाली।
सुख से झोली भरने वाली।।
करती सबकी पूर्ण आशा।
मन में भरती है विश्वासा।।
चालीसा जो इनका गाता।
वो जन तो भव से तर जाता।।
देवी सबके दुखड़े हरती।
सुख से सबकी झोलियां भरती।।
चंद्र घंटा चालीसा का इतना ही है सारय
प्रेम से जो पड़ता जन है मैया कर भव से पार।।
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और वहां आसन बिछाएं।
मां चंद्रघंटा की मूर्ति या तस्वीर को सामने रखें।
मां को फूल, अक्षत, चंदन, फल और मिठाई अर्पित करें।
घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती जलाएं।
फिर “ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः” मंत्र का जाप करें।
अब पूर्ण श्रद्धा से मां चंद्रघंटा चालीसा का पाठ करें।
पाठ के बाद आरती भजन व कीर्तन गाएं।
चंद्रघंटा चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ मिलते हैं।
सुख और शांति की प्राप्ति: चंद्रघंटा चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और पारिवारिक सुख प्रदान करता है।
आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि: यह चालीसा व्यक्ति के भीतर साहस, आत्मबल और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
कष्टों से मुक्ति: इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली परेशानियों, बाधाओं और संकटों से छुटकारा मिलता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: चालीसा का पाठ नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और वातावरण को शुद्ध करता है।
समृद्धि और धन लाभ: मां की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में समृद्धि आती है।
स्वास्थ्य लाभ: इस चालीसा से मानसिक तनाव दूर होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मंत्र सिद्धि और साधना में सहायता: साधकों के लिए यह चालीसा विशेष रूप से साधना को सफल बनाने में सहायक होती है।
मोक्ष की प्राप्ति: नियमित पाठ से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।इस प्रकार मां की चालीसा भक्तों को सुख, शांति, शक्ति और समृद्धि प्रदान करती है।
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