अहोई माता चालीसा
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अहोई माता चालीसा

मातृत्व और संतान की रक्षा की प्रतीक मां अहोई की भक्ति में पढ़ें श्रद्धापूर्वक अहोई माता चालीसा। इसके नियमित पाठ से संतान की उन्नति, सुरक्षा और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

अहोई माता चालीसा के बारे में

क्या आप जानते हैं कि अहोई माता केवल एक पूजनीय देवी ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में मातृत्व, संरक्षण और संतान की भलाई की प्रतीक भी हैं? उन्हें संतान की रक्षा, लंबी उम्र और सुखमय जीवन का आशीर्वाद देने वाली दिव्य शक्ति माना गया है। अहोई माता की पूजा से न केवल संतान की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि जीवन में शांति, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।

अहोई माता चालीसा क्या है?

अहोई अष्टमी, जिसे अहोई आठें भी कहते हैं, संतान-रक्षा और माता अहोई की कृपा के लिए मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। अहोई माता चालीसा एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, जिसमें उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है। विशेष रूप से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, जब अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है, इस चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह चालीसा उन माताओं के लिए विशेष महत्व रखती है, जो अपनी संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। नारद पुराण के अनुसार, जो भक्त श्रद्धा से अहोई माता की पूजा और चालीसा का पाठ करता है, उसे संतान-सुख, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

अहोई माता चालीसा का पाठ क्यों करें?

माता अहोई को मां पार्वती का रूप माना जाता है, जो संतान की रक्षा, लंबी उम्र और सुखमय जीवन का आशीर्वाद देती हैं। उनकी चालीसा का पाठ उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से फलदायी है, जो संतान-सुख या गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रही होती हैं। मान्यता है कि माता की आराधना से बंध्या योग, गर्भपात, दुष्ट संतान योग और संतान की असमय मृत्यु जैसे दोष दूर हो जाते हैं। नियमित पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख-समृद्धि का संचार होता है।

अहोई माता चालीसा

॥ दोहा ॥ अहोई माता विनति सुनो,

सेवक की रखो लाज।

संतान सुख समृद्धि दो,

पूरण हो सब काज॥

॥ चौपाई ॥

जय अहोई अंबे जगदम्बा।

सदा सहाय करो सुख कंबा॥

नारी तव व्रत करती प्यारी।

सुत सुख पाए सदा सुखकारी॥

निर्धन धनी, हीन सुख पावे।

दरिद्र मिटे, वैभव बरसावे॥

सिंहासिन तू जगत भवानी।

भक्त बचावन वाली रानी॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावा।

भक्त मनोवांछित फल पावा॥

पुत्रवती नारी सुख पावे।

पुत्रहीन के पुत्र बसावे॥

सुख सम्पत्ति देहि जगदम्बा।

दुख दरिद्र मिटे सब कंबा॥

अष्टमी तिथि व्रत जो नारी।

करहि श्रद्धा सहित तैयारी॥

सदा सुहागिन वह नारी होई।

कृपा करें जगजननि अहोई॥

॥ दोहा ॥

अहोई माता की कृपा,

रहे सदा परिवार।

संतान सुख वैभव बढ़े,

मिटे पाप संहार॥

अहोई माता चालीसा पाठ विधि और नियम

  • अहोई अष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।

  • दिनभर बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखें।

  • संध्या के समय पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर जल से भरे कलश की स्थापना करें और उसके ऊपर अहोई माता की तस्वीर या चांदी/धातु की मूरत रखें।

  • पूजा की थाली में फूल, धूपबत्ती, गाय का घी, रोली, कलावा, अक्षत, सूखा आटा, गाय का दूध, और करवा रखें।

  • श्रृंगार सामग्री: लाल चुनरी, बिंदी, सिंदूर, काजल, लाली, चूड़ी, आलता रखें

  • पूजा थाली में देवी के भोग के लिए फल और मिठाई अवश्य रखें।

  • व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन दूध और दही का उपयोग नहीं करतीं। इसलिए भोग में गुलगुले, सूजी का हलवा या अन्य बिना दूध-दही वाले व्यंजन शामिल करें।

  • अहोई माता का ध्यान करके दीपक जलाएं और श्रद्धा भाव से चालीसा का पाठ करें।

  • चालीसा पाठ के पश्चात अहोई माता की कथा अवश्य सुनें और फिर आरती करें।

  • पूजा के बाद चंद्रमा/तारों के दर्शन करें और अर्घ्य अर्पित करके व्रत का पारण करें।

  • अंत में माता का प्रसाद सभी परिजनों को बांटें।

अहोई माता चालीसा के लाभ

अहोई माता चालीसा का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। इसके पाठ से मातृत्व को बल मिलता है और संतान संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  • संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं और बंध्या योग के दोष दूर होते हैं।
  • संतान-सुख और पारिवारिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • जीवन में आत्मिक संतुलन, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • अहोई माता की कृपा से परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
  • नियमित पाठ करने से मनोबल और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
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Published by Sri Mandir·September 22, 2025

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