मां सरस्वती के तांत्रिक स्वरूप मातंगी देवी की भक्ति में पढ़ें मातंगी चालीसा। इसके नियमित पाठ से मिलता है विद्या, वाक्शक्ति और मानसिक शुद्धता का आशीर्वाद।
ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति मातंगी माता की साधना करता है, उसकी वाणी में ऐसा तेज और प्रभाव उत्पन्न होता है कि वह सबको आकर्षित कर लेता है। उसकी बुद्धि प्रखर होती है, और उसका मन एक अद्भुत संतुलन व शांति का अनुभव करता है। आइए, जानें मातंगी माता की दिव्यता, उनके पूजन की रहस्यमयी विधि के बारे में।
मातंगी चालीसा देवी मातंगी की स्तुति में रचित चालीस छंदों की एक भक्ति-रचना है, जो भक्तों को देवी के दिव्य स्वरूप और शक्तियों का स्मरण कराती है। देवी मातंगी, दस महाविद्याओं में से नवमी महाविद्या मानी जाती हैं। मातंगी माता का संबंध तंत्र से भी है, और उन्हें वचन एवं मन की देवी कहा गया है। विशेष बात यह है कि मातंगी देवी को प्रसन्न करने के लिए व्रत की आवश्यकता नहीं होती। वे केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं।देवी मातंगी को भगवान शिव और माता पार्वती के भोज से उत्पन्न शक्ति रूप में भी माना जाता है, और वे किसी भी प्रकार के इंद्रजाल, तंत्र-मंत्र या नकारात्मक ऊर्जा को काटने में सक्षम हैं। यह चालीसा साधकों के लिए न केवल एक भक्ति का माध्यम है, बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रदान करती है।
मातंगी चालीसा का पाठ देवी मातंगी की कृपा पाने का एक आसान और असरदार तरीका है। मातंगी माता को वाणी, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है। उनका चालीसा पाठ करने से वाणी में प्रभावशीलता, मन में शांति, और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो कला, लेखन, संगीत, पढ़ाई या आध्यात्मिक साधना से जुड़े होते हैं। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि को मातंगी माता की पूजा का खास महत्व होता है। इस दिन पूजा करने से विशेष फल मिलते हैं। माता को लक्ष्मी जी का एक रूप भी माना गया है, जो समृद्धि और संतुलन देती हैं।
चालीसा
वंदु विनायक विध्रहर,
शारद करो सहाय,
आनंदनी ए याचना मोढेश्वरी गुण गवाय.
प्रणमुं पाय मातंगी मात,
मोढेश्वरी नाम तुज ख्याता
मातंगी वास वाव मही कीधो,
आश्रय सर्व मोढोने दीधो,
सोल श्रृंगार सिंहारूढ शोभे,
भुज अढार दर्शन मन लोभे
वंदन चरणामृत सुखदाई,
आतमना पड शत्रु हणाये
भरतखंड शुभ पश््विम भागे,
धरमारण्य क्षेत्र तप काजे,
साधक रक्षक भट्टारीका कहावे,
तपस्वी तप तपवा अही आवे
देव देवी जपतप अहीं जापे,
मा भट्टारीका तप रक्षण आपे
तीरथ सरस्वती सुखदाई,
पितृ शांति अहीं पींडथी थाये
मोक्ष धाम देहुती माता,
आश्रम कपिल शास्त्र विख्याता
मोढेरा शुभ स्थान प्रतापी,
मोढेश्वरी चतुर युग व्यापी
सूर्य मंदिर बकुंलार्क अजोडा,
विश्वकर्माकृत रविकुंड चौडा
धरमारण्य धरा अति पावन,
श्री रामयज्ञे मातंगी सुहावन
महासुद तेरस सुखदाता,
प्रगट्यां मातंगीयज्ञे माता
जयजयकार जगत मही थाये,
सुमन वरसे देवो जय गाये
सूर्यकुंड सुभग फलदाता,
झीले जल मातंगी माता
श्री रामसीता यज्ञ आराधे,
सत्यपुरे मातंगी साधे
लक्ष्मीरूप मातंगी माता,
पूजन नैवेद सर्व सुखदाता
वडा, लाडु, दुधपाक सुहावे,
नैवेद धरे सीता प्रिय भावे
समस्त मोढ तणी कुलमाता,
अष्ठसिध्धि नवनिधि फलदाता
महासुद तेरस थाल धराये,
मोढ चडती दिन प्रतिदिन थाये
अष्टादश भुज आशिष आपे,
स्थान नीज सत्यपुरे स्थापे
सतयुगे सतपुरी कहावे,
त्रेतानाम महेरकपुर भावे
द्वापर युग मोहकपुर सोहे,
मोढेरा कलयुग मन माहे
धर्मराज शिव तप आराधे,
सहस्त्र यर्षे शिव दर्शन साधे
प्रगट्यां शिव शुभ आशिष आपे,
स्थान नीज धर्मेश्वर स्थापे
वदे महेश्वर कृपा निधाना,
ए विशावनाथ काशी समस्थाना
मात रांदल अश्वनी रूप लीधा,
ध्वादश वर्ष कठीन तपकीधां
सूर्यराणी रांदल सुखदायी,
उपनामे संज्ञा कहेवाये
तप प्रभाव संज्ञा सुखदाई,
पति सूर्यदेवमुख दर्शन थाये
संज्ञाए ज्यां तप आराध्या,
सूर्य मंदिर रामे त्यां बांध्या
प्रति सुद तेरस व्रततप थाये,
मले मान्युं यम भीती जाये
पूजे कन्या मन कोड पुराये,
तपथी विधवाना दुःख जाये
सेवे सधवा सर्व सुख थाये,
व्हेम, मद अने कुसंप जाये
नमः मातंगी नाम मुख आवे,
भूत पिशाच भय अति दूर जावे
मोढेश्वरी तव पूजन प्रभावे,
सत्य दया तप सौच दिल आवे
कष्ट भंजन मातंगी माता,
बने सर्व ग्रहो सुखदाता
विद्यार्थी मातंगी जप जापे,
वधे विद्या, बुद्धि धन आपे
मातंगी यात्रा अति सुख
आपेकर्म बंधन भवभवना कापे
दलपतराम मात गुण गाये,
उपनाम आनंद कहेवाये
संवत वीस सुडतालीस मांहे,
मातंगी चालीसा आनंद गाये
दोहा
श्री मोढेश्वरी चालीसा,
भावे रोज भणायवधे विद्या,
धन, सुसंतति, पदारथ चार पमाय
विशेष रूप से मातंगी जयंती, गुप्त नवरात्रि, या शुक्रवार के दिन इस चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी और सिद्धिप्रद माना जाता है। यदि आप मातंगी माता का पूजन एवं पाठ करना चाहते हैं, तो नीचे दी गई पूजन विधि का पालन करें:
मातंगी माता की साधना और चालीसा के पाठ से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
Did you like this article?
संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए पढ़ें अहोई माता चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है मां अहोई की विशेष कृपा।
संतान सुख, आरोग्य और समृद्धि के लिए पढ़ें छठी मैया चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध संपूर्ण पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है छठी माता की कृपा और जीवन में सुख-शांति।
मां दुर्गा के भवानी रूप की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ें संपूर्ण भवानी चालीसा। सरल हिंदी में पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है शक्ति, साहस और बुरी शक्तियों से रक्षा।