पंचमुखी हनुमान चालीसा
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पंचमुखी हनुमान चालीसा

पंचमुखी हनुमान जी की आराधना से जीवन में आती है शक्ति, साहस और विजय। श्रद्धापूर्वक इस चालीसा का पाठ करने से दूर होते हैं भय और मिलती है दिव्य सुरक्षा।

पंचमुखी हनुमान चालीसा के बारे में

केसरीनंदन को समर्पित पंचमुखी हनुमान चालीसा एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो हनुमान जी के पंचमुख रूप के न केवल दर्शन कराती है, बल्कि जीवन से भय, बाधा और संकट को भी दूर करती है। आज के इस लेख में जानिए इस चमत्कारी चालीसा की सही पाठ विधि, नियम और अद्भुत फायदे जो जीवन में शक्ति, शांति और सुरक्षा के द्वार खोल सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

पंचमुखी हनुमान चालीसा क्या है?

राम भक्त, केसरीनंदन भगवान हनुमान को समर्पित पंचमुखी हनुमान चालीसा एक शक्तिशाली और दिव्य स्तोत्र है, जो उनके पंचमुखी रूप की महिमा का वर्णन करती है। यह चालीसा न केवल एक भक्ति गीत है, बल्कि संकटों से मुक्ति और सभी दिशाओं से सुरक्षा पाने का आध्यात्मिक माध्यम भी है। पंचमुखी रूप में हनुमान जी के पांच मुख हनुमान, नरसिंह, गरुड़, वराह और हयग्रीव का चालीसा में गुणगान है। पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त को हर दिशा से सुरक्षा मिलती है और जीवन में आने वाले बड़े से बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।

पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ क्यों करें?

पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली समस्या से निवारण मिलता है। यह पाठ बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और भय से सुरक्षा प्रदान करता है। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा से रोगों और दोषों से छुटकारा मिलता है और शरीर को बल मिलता है। यह पाठ मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक संतुलन प्रदान करता है। इस चालीसा को करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है। वहीं, घर में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करने से वास्तु दोष दूर होते हैं। विशेष रूप से यह पाठ मृत्यु भय, चिंता और अन्य मानसिक तनावों से मुक्ति दिलाता है। इसके अलावा पंचमुखी हनुमान जी की कृपा से जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा होती है। साथ ही यह पूजा जीवन में सही दिशा पाने में भी मार्गदर्शन करती है।

पंचमुखी हनुमान चालीसा

दोहा

जय पंचमुखी हनुमान जी, श्री स्वयं रुद्रावतार।

शिरोमणि सेवक धर्म, श्री पंच पंथ अवतार।।

पंच तत्वमय श्री मुख, नरसिंह गरुड़ कपीश।

वराह हयग्रीव मुख, श्री राम भक्त तपिश।।

चालीसा

जय हनुमान पंच मुखकारी।

अतुलित कृपा भक्ति धारी।।

प्रेतासन हो निर्भय करते।

खड्ग त्रिशूल खटवाजां घरते।।

पाश अंकुश पर्वत कर धारण।

मुट्ठी मोदक प्रसादे तारण।।

दस आयुद्ध दस भुजा में साजे।

शत्रु नाशक भक्त कर काजे।।

ज्ञान मुद्रा हस्त वृक्ष कमंडल।

तप जप ज्ञान दे भक्त के मंडल।।

नर सिंह रूप शत्रु के नाशक।

भक्त के ह्रदय भक्ति आशक।।

गरुड़ रूप धर काल को काटे।

निर्भयता भक्त ह्रदय बांटे।।

मुख कपीश परम् सुख कर्ता।

श्री राम मंत्र ह्रदय घट भरता।।

वाराह मुख है धर्म का तारक।

गो मुख गायत्री वेद उच्चारक।।

हयग्रीव मुख धर्म प्रचारक।

धर्म विरुद्ध के हो संहारक।।

ज्वर ताप हो कैसा कोई।

पंच मुख हनुमान सुख होई।।

पूर्व मुखी हर शत्रु संहारा।

पश्चिम मुखी सकल विष हारा।।

दक्षिण मुखी प्रेत सर्व नाशक।

उत्तर मुखी सकल धन शासक।।

ऊर्ध्व मुखाय सदा वंश दाता।

पंच मुखी हनुमान विश्वविधाता।।

तुम संगीत के हो महा ज्ञानी।

ॐ नांद ब्रह्म विधा दानी।।

जो पढ़े पंच मुखी हनु नाम।

भक्ति शक्ति ब्रह्म समाना।।

नवग्रह पंच मुखी के सेवक।

जपे नाम बने भक्त के खेवक।।

काल सर्प पितृ दोष की बांधा।

पंचमुखी जप से मिटती बांधा।।

पंच मुखी ह्रदय सीया संग रामा।

मिले वांछित फल चारों धामा।।

पीर वीर जिन्न भूत बेताला।

पंच मुखी हनुमान है प्रकाला।।

मंगल दोष अमंगल हरता।

पंच मुखी हनु नाम जप करता।।

केश घूंघर चंदनमय टीका।

कुण्डल कान गले माले अनेका।।

सुर मुनि सिद्ध सदा विराजे।

छवि पंचमुख कपि जहां साजे।।

अरुण सोम भीम संग बुधा।

पंचमुख हनु करे सब शुद्धा।।

गुरु शुक्र शनि राहु केतु।

पंचमुख हनुमान सुख हेतु।।

पंच मुख हनुमान व्रत पूजा।

पूर्ण मासी मनोरथ पूजा।।

चोला लाल जनेऊ छत्तर।

ध्वजा नारियल मीठा पत्तर।।

मंगल शनि जो दीप जलावे।

वैभव परम ज्ञान संग पावे।।

कलियुग काल में दोष अपारा।

पंच मुख हनुमान जप तारा।।

तत्वातीत राम के संता।

चौसठ कला दाता हनुमंता।।

रोम रोम ब्रह्मांड बसेरा।

आत्म रूप सिद्ध करें सवेरा।।

दायें हाथ दुःख पर्वत धारण।

बायें हाथ आशीष वर तारण।।

सूर्य गुरु सर्व विद्या ज्ञानी।

ऋद्धि सिद्धि नव निधि के दानी।।

स्वर्ण आभा अंग बज्र समाना।

पंचमुखी हनुमान विधाना।।

सत्य स्वरूपी राम उपासक।

प्रेम प्रदाता असत्य विनाशक।।

सूर्य चन्द्र है नेत्र विशाल।

भक्त को भक्ति दुष्ट प्रकाला।।

न्याय मिले ना सब कुछ हारो।

जय पंचमुखी हनुमान उच्चारो।।

नमो नमो पंचमुखी हनुमंता।

श्री गुरु तुम्हीं परम महा संता।।

छवि मनोहर शांति दायक।

दीन हीन दुखी के तुम सहायक।।

जय माँ सीता जय श्री राम।

जय पंचमुखी हनुमान प्रणाम।।

दोहा

पंचमुखी हनुमान जी, सनातन सिद्ध महाकार।

श्री राम भक्त सच्चे पुरुष, ॐ शक्ति के अधिकार।।

भक्ति शक्ति भक्त दो, हे पंचमुखी हनुमान।

शरणं मम् शरणं मम्, श्री राम भक्त हनुमान।।

सत्य साहिब रचित श्री पंचमुखी हनुमान चालीसा सम्पूर्ण

पाठ की विधि और नियम

  • चालीसा का पाठ मंगलवार औऱ शनिवार को करना अधिक फलदायी मानी जाती है।
  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके साफ़ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • अब सिंदूर, चमेली का तेल, पान, सुपारी, गुड़, चना, लाल फूल (गुड़हल या गेंदा), धूप, दीप, नारियल अर्पित करें।
  • "ॐ हनुमते नमः" मंत्र का जाप करें और शांत चित्त से चालीसा का पाठ शुरू करें।
  • संभव हो तो सुंदरकांड के बाद चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में गुड़, चना, नारियल का भोग लगाएं, फिर आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
  • अधिक जानकारी के लिए पंडित से शुभ मुहूर्त और विधि की सलाह लें।

पंचमुखी हनुमान चालीसा के लाभ

पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है। इसका नियमित पाठ करने से भक्त को अनेक लाभ मिलते हैं।

  • भय से मुक्तिः पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन का भय और असुरक्षा की भावना दूर होती है।

  • रोगों से रक्षाः यह पाठ शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और स्वास्थ्य में सुधार करता है।

  • नकारात्मक ऊर्जा का नाशः पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ करने से घर और मन से नकारात्मक शक्तियाँ और बुरी ऊर्जा दूर होती हैं।

  • तनाव और चिंता से राहतः इसके नियमित पाठ से तनाव, चिंता और मानसिक थकावट में कमी आती है।

  • ज्ञान और ध्यान में सहायकः पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ विद्यार्थियों और साधकों के लिए यह एकाग्रता और ध्यान में सहायक होता है।

  • वास्तु दोषों का निवारणः पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ रोजाना करने से घर में पंचमुखी हनुमान की उपस्थिति से वास्तु दोष समाप्त होते हैं।

  • शत्रुओं पर विजय प्राप्तिः पंचमुखी हनुमान चालीसा का पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है और विजय दिलाता है।

  • मनोकामनाओं की पूर्तिः पंचमुखी हनुमान चालीसा का श्रद्धा से किया गया पाठ सभी शुभ इच्छाओं की पूर्ति में सहायक होता है। यदि आप इसे नियमित रूप से करते हैं तो जीवन में सकारात्मकता और सुरक्षा बनी रहती है।

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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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