करणी माता चालीसा
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करणी माता चालीसा

दुनिया के प्रसिद्ध करणी माता मंदिर की अधिष्ठात्री देवी करणी माता की स्तुति करें इस चालीसा से। नियमित पाठ से जीवन में आता है साहस, सफलता और कष्टों से मुक्ति।

करणी माता चालीसा के बारे में

करणी माता चालीसा माँ करणी की आराधना के लिए किया जाने वाला एक श्रद्धापूर्ण पाठ है, जो शक्ति, साहस और रक्षा प्रदान करता है। माना जाता है कि माता की कृपा से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और संकटों से सुरक्षा मिलती है। इस लेख में आपको चालीसा का पाठ, इसका महत्व, पाठ विधि और इससे जुड़े लाभों की जानकारी मिलेगी।

करणी माता चालीसा क्या है?

करणी माता चालीसा एक भक्तिमय स्तोत्र है जिसमें 40 छंद (चौपाइयाँ) होते हैं। यह चालीसा माँ करणी की स्तुति करती है, उनके दिव्य जीवन, चमत्कारों, गुणों और महिमा का वर्णन करती है। इसमें माँ के जन्म से लेकर उनके अलौकिक कार्यों और भक्तों की रक्षा करने तक की लीलाओं का संक्षिप्त और प्रेरणादायक चित्रण होता है। चालीसा का पाठ करना भक्तों के लिए माँ के साथ एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने का एक सरल तरीका है। यह न केवल माँ की शक्ति का स्मरण कराता है, बल्कि भक्तों को उनके प्रति अधिक समर्पित होने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए प्रेरित भी करता है।

आपको बता दें कि माँ करणी को ‘चूहों वाली देवी’ और ‘दाढ़ी वाली डोकरी’ कहा जाता है और ये चारण जाति की कुलदेवी हैं, जिनकी भक्ति और चमत्कारों की कथाएँ जन-जन में प्रसिद्ध हैं।

करणी माता चालीसा का पाठ क्यों करें?

करणी माता चालीसा का पाठ करने के कई महत्वपूर्ण कारण और लाभ हैं।

  • माँ का आशीर्वाद और सुरक्षा: चालीसा का नियमित पाठ माँ करणी को प्रसन्न करता है और उनका प्रत्यक्ष आशीर्वाद व सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
  • भय और संकटों से मुक्ति: माँ करणी को संकटमोचनी और भक्तों की रक्षक माना जाता है। चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के भय, बाधाओं और जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: यह चालीसा घर और व्यक्ति के आस-पास से नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी नज़र और ऊपरी बाधाओं को दूर करती है, जिससे सकारात्मक वातावरण बनता है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से किया गया चालीसा पाठ माँ की कृपा से भक्तों की सभी शुभ मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
  • ज्ञान और विवेक की प्राप्ति: माँ करणी को ज्ञान और विवेक की देवी भी माना जाता है। उनके चालीसा का पाठ करने से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और सही-गलत का बोध होता है।

करणी माता चालीसा दोहा

॥ दोहा ॥

जय गणेश जय गज बदन, करण सुमंगल मूल।

करहू कृपा निज दास पर, रहहू सदा अनूकूल॥

जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार।

जगदम्बा करणी सुयश, वरणउ मति अनुसार ॥

॥ चौपाई ॥

सूमिरौ जय जगदम्ब भवानी।

महिमा अकथन जाय बखानी॥

नमो नमो मेहाई करणी।

नमो नमो अम्बे दुःख हरणी॥

आदि शक्ति जगदम्बे माता।

दुःख को हरणि सुख कि दाता॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैलि उजियारो॥

जो जेहि रूप से ध्यान लगावे।

मन वांछित सोई फल पावे॥

धौलागढ़ में आप विराजो।

सिंह सवारी सन्मुख साजो॥

भैरो वीर रहे अगवानी।

मारे असुर सकल अभिमानी॥

ग्राम सुआप नाम सुखकारी।

चारण वंश करणी अवतारी॥

मुख मण्डल की सुन्दरताई।

जाकी महिमा कही न जाई॥

जब भक्तों ने सुमिरण कीन्हा।

ताही समय अभय करि दीन्हा॥

साहूकार की करी सहाई।

डूबत जल में नाव बचाई ॥

जब कान्हे न कुमति बिचारी।

केहरि रूप धरयो महतारी॥

मारयो ताहि एक छन मांई।

जाकी कथा जगत में छाई॥

नेड़ी जी शुभ धाम तुम्हारो।

दर्शन करि मन होय सुखारो॥

कर सौहै त्रिशूल विशाल।

गल राजे पुष्प की माला॥

शेखोजी पर किरपा कीन्ही।

क्षुधा मिटाय अभय कर दीन्हा॥

निर्बल होई जब सुमिरन कीन्हा।

कारज सबि सुलभ कर दीन्हा॥

देशनोक पावन थल भारी।

सुन्दर मंदिर की छवि न्यारी॥

मढ़ में ज्योति जले दिन राती।

निखरत ही त्रय ताप नशाती॥

कीन्ही यहाँ तपस्या आकर।

नाम उजागर सब सुख सागर॥

जय करणी दुःख हरणी मइया।

भव सागर से पार करइया॥

बार बार ध्याऊं जगदम्बा।

कीजे दया करो न विलम्बा ॥

धर्मराज नै जब हठ कीन्हा।

निज सुत को जीवित करि लीन्हा ॥

ताहि समय मर्याद बनाई।

तुम पह मम वंशज नहि आई ॥

मूषक बन मंदिर में रहि है।

मूषक ते पुनि मानुष तन धरि है ॥

दिपोजी को दर्शन दीन्हा।

निज लिला से अवगत कीन्हा॥

बने भक्त पर कृपा कीन्ही।

दो नैनन की ज्योति दीन्ही॥

चरित अमित अति कीन्ह अपारा।

जाको यश छायो संसारा॥

भक्त जनन को मात तारती।

मगन भक्त जन करत आरती॥

भीड़ पड़ी भक्तों पर जब ही।

भई सहाय भवानी तब ही॥

मातु दया अब हम पर कीजै।

सब अपराध क्षमा कर दीजे॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो॥

जो नर धरे मात कर ध्यान।

ताकर सब विधि हो कल्याण॥

निशि वासर पूजहिं नर-नारी।

तिनको सदा करहूं रखवारी॥

भव सागर में नाव हमारी।

पार करहु करणी महतारी॥

कंह लगी वर्णऊ कथा तिहारी।

लिखत लेखनी थकत हमारी॥

पुत्र जानकर कृपा कीजै।

सुख सम्पत्ति नव निधि कर दीजै॥

जो यह पाठ करे हमेशा।

ताके तन नहि रहे कलेशा॥

संकट में जो सुमिरन करई।

उनके ताप मात सब हरई॥

गुण गाथा गाऊं कर जोरे।

हरह मात सब संकट मोरे॥

।। दोहा ।।

आदि शक्ति अम्बा सुमिर, धरि करणी का ध्यान।

मन मंदिर में बास करो मैया, दूर करो अज्ञान ।।

पाठ की विधि और नियम

करणी माता चालीसा का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों और विधि का पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

  • पवित्रता: पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • स्थान: एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, माँ करणी का ध्यान करते हुए, पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना के लिए माँ से प्रार्थना करें और चालीसा पाठ का संकल्प लें।
  • पूजा सामग्री: यदि संभव हो, तो माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, दीपक जलाएं, धूपबत्ती लगाएं और कुछ फूल अर्पित करें।
  • पाठ: चालीसा का पाठ स्पष्ट उच्चारण के साथ और भक्तिभाव से करें। कम से कम एक बार या 11, 21, 51, या 108 बार पाठ करना शुभ माना जाता है ।
  • समय: प्रतिदिन सुबह या शाम को पाठ करना सबसे अच्छा होता है। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान या मंगलवार/शुक्रवार को पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  • समर्पण: पाठ के अंत में, अपनी प्रार्थना माँ को समर्पित करें और जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

करणी माता चालीसा के लाभ

करणी माता चालीसा का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

  • जीवन में आने वाली हर तरह की बाधाओं, चुनौतियों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
  • गुप्त शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  • माँ की कृपा से स्वास्थ्य उत्तम रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • आर्थिक संकट दूर होते हैं और घर में धन-संपत्ति का आगमन होता है।
  • परिवार में प्रेम, सौहार्द और शांति का माहौल बना रहता है।
  • मन को शांति मिलती है, तनाव दूर होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • सच्ची श्रद्धा से मांगी गई सभी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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