
"श्री गोवर्धन महाराज के आशीर्वाद से जुड़ें और दिव्य भक्ति का अनुभव करें। अभी पढ़ें!"
ये भजन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की दिव्य लीला की महिमा को बखान करता है। यह भजन भक्तों में भगवान की शक्ति, संरक्षण, और करुणा का स्मरण कराता है। इसे सुनने या गाने से आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। गोवर्धन महाराज की स्तुति से भौतिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है, और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
दीपावली के तुरंत बाद आने वाली गोवर्धन पूजा में गाई जाने वाली प्रमुख आरती।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तोपे* पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तेरे गले में कंठा साज रेहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
चकलेश्वर है विश्राम ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण ।
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