"राधा रानी के प्रेम में खो जाएं, 'राधा बनकर देखो' भजन पढ़ें और आनंद लें!"
ये भजन प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण का संदेश देता है। इसे गाने और सुनने से भक्त के दिल में राधा और कृष्ण के प्रति अद्भुत प्रेम जागृत होता है। यह भजन हमें अपनी निस्वार्थ भक्ति और प्रेम से ईश्वर के करीब जाने की प्रेरणा देता है। राधा के रूप में आत्मसमर्पण करने से जीवन में शांति, संतुष्टि और सच्चा आनंद मिलता है, और मन की उलझनें सुलझती हैं।
एक बार तो राधा बनकर देखो मेरे सांवरियां,
जो मै ऐसा जानती, प्रीत करे दुख होय,
नगर ढिंढोरा पीटती, प्रीत ना करिये कोई ॥
एक बार तो राधा बनकर देखो,
मेरे सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
राधा यूँ रो रो कहे ॥
क्या होते है आँसु,
क्या पीड़ा होती है,
क्यू दर्द उठता है,
क्यू आँखे रोती है,
एक बार आँसु तो बहाकर,
देखो सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
इक बार तो राधा बनकर देखो,
मेरे सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
राधा यूँ रो रो कहे ॥
जब कोई सुनेगा ना,
तेरे मन के दुखडे,
जब ताने सुन सुन कर,
होंगे दील के टुकडे,
एक बार जरा तुम ताने सुनकर,
देखो सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
इक बार तो राधा बनकर देखो,
मेरे सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
राधा यूँ रो रो कहे ॥
क्या जानोगे मोहन,
तुम प्रेम की भाषा,
क्या होती है आशा,
क्या होती निराशा,
एक बार जरा तुम प्रेम करके,
देखो सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
इक बार तो राधा बनकर देखो,
मेरे सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
राधा यूँ रो रो कहे ॥
पनघट पे मधुबन में,
वो इंतज़ार करना,
कही श्याम तेरे खातिर,
वो घुट घुट के मरना,
एक बार किसी का इंतज़ार कर,
देखो सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
इक बार तो राधा बनकर देखो,
मेरे सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
राधा यूँ रो रो कहे ॥
एक बार तो राधा बनकर देखो,
मेरे सांवरियां,
राधा यूँ रो रो कहे,
राधा यूँ रो रो कहे ॥
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