मां से स्नेह और आशीर्वाद पाएं, 'मैं बालक तू माता' भजन पढ़ें।
ये भजन भक्त और मां जगदंबा के बीच के पवित्र रिश्ते को दर्शाता है। इसमें भक्त अपनी मां से सहायता, मार्गदर्शन, और रक्षा की प्रार्थना करता है, जैसे एक बालक अपनी मां पर निर्भर रहता है। इस भजन को गाने या सुनने से भक्ति, सुरक्षा, और स्नेह की भावना जागृत होती है। यह भजन मन को शांत करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है, और मां की कृपा से जीवन की समस्याएं हल होती हैं।
तो क्या जो ये
पीड़ा का पर्वत
रास्ता रोक के खड़ा है
तेरी ममता
जिस का बल वो
कब दुनिया से डरा है
हिम्मत मैं क्यों
हारूं मैया
हिम्मत मैं क्यों
हारूं मैया
सर पे हाथ तेरा है
तेरी लगन मैं मगन मैं नाचूं
गाऊं तेरा जगराता
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए
शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ
ज्योतां वालिये माँ, मेहरा वालिये माँ
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए
बिन बाती बिन दिया तू कैसे
कांटे घोर अँधेरा
बिन सूरज तू कैसे करदे
अंतरमन में सवेरा
बिन धांगो के कैसे जुड़ा है
बिन धांगो के कैसे जुड़ा है
बंधन तेरा मेरा
तू समझे या मैं समझूँ
कोई और समझ नहीं पाता
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो
शेरां वालिए माँ, ज्योतां वालिये माँ
पहाड़ा वालिए माँ, मेहरा वालिये माँ
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए
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