भक्ति से भगवान के करीब जाएं, 'करती हूं तुम्हारा व्रत मैं' भजन पढ़ें!
"करती हूं तुम्हारा व्रत मैं" ये भजन भक्त द्वारा भगवान के प्रति भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इस भजन में व्रत और तपस्या के माध्यम से भगवान की कृपा पाने की प्रार्थना की जाती है। इसे गाने और सुनने से मन में आत्मिक शांति और आस्था बढ़ती है। यह भजन भक्तों को भक्ति मार्ग पर चलने और जीवन के कठिनाइयों को सहन करने की शक्ति प्रदान करता है। भगवान की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।
करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,
स्वीकार करो माँ,
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
बैठी हूँ बड़ी आशा से,
तुम्हारे दरबार में,
क्यूँ रोये तुम्हारी बेटी,
इस निर्दयी संसार में,
पलटा दो मेरी भी किस्मत,
पलटा दो मेरी भी किस्मत,
चमत्कार करो माँ ।
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
मेरे लिए तो बंद है,
दुनिया की सब राहें,
कल्याण मेरा हो सकता है,
माँ आप जो चाहें,
चिंता की आग से मेरा,
चिंता की आग से मेरा,
उद्धार करो माँ ।
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
दुर्भाग्य की दीवार को,
तुम आज हटा दो,
मातेश्वरी वापिस मेरे,
सौभाग्य को ला दो,
इस अभागिनी नारी से,
इस अभागिनी नारी से,
कुछ प्यार करो माँ ।
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,
स्वीकार करो माँ,
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
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