
जानिए इस दिन का विस्तृत पंचांग, दशमी तिथि, मृगशिरा नक्षत्र, शुभ-अशुभ मुहूर्त, योग, करिणा और दिन के धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व की सभी जरूरी जानकारी।
4 दिसंबर 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था से परिपूर्ण माना जाता है। इस पावन तिथि पर किए गए पूजा-पाठ, जप, व्रत और दान से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने की मान्यता है। भक्तजन भगवान और देवी-देवताओं की आराधना कर अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना करते हैं।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 4 दिसंबर 2025 को कौन-सा व्रत, त्योहार और शुभ योग हैं और यह दिन धार्मिक रूप से क्यों विशेष है? 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा, दत्तात्रेय जयंती, अन्नपूर्णा जयंती, त्रिपुर भैरवी जयंती और कार्तिगाई दीपम् जैसे महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। हेमंत ऋतु के पावन माह मृगशिरा में आने वाला यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।
1. मार्गशीर्ष पूर्णिमा
मार्गशीर्ष मास की प्रमुख पूर्णिमा, जिसे दान, जप और स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
2. दत्तात्रेय जयंती
भगवान दत्तात्रेय, त्रिदेव के संयुक्त अवतार, का जन्म दिवस। इस दिन उपवास, दत्त गुरु की पूजा और ब्रह्मज्ञान की साधना अत्यंत पुण्यदायी है।
3. अन्नपूर्णा जयंती
माता अन्नपूर्णा की जयंती के अवसर पर अन्नदान और विशेष पूजा की परंपरा है। यह दिन समृद्धि और अन्न-क्षेम का प्रतीक माना जाता है।
4. त्रिपुर भैरवी जयंती
दश महाविद्याओं में से एक त्रिपुर भैरवी की उपासना का अत्यंत शक्तिशाली दिन।
5. कार्तिगाई दीपम्
दक्षिण भारत का प्रमुख दीप पर्व, जिसमें भगवान शिव को अग्नि स्तंभ के रूप में पूजते हैं।
शुभ मुहूर्त: 11:28 AM से 12:10 PM राहुकाल: 1:09 PM से 2:29 PM गुलिक काल: 9:09 AM से 10:29 AM यमघंट काल: 6:29 AM से 7:49 AM
सूर्योदय: 6:29 AM सूर्यास्त: 5:08 PM चंद्रोदय: 4:21 PM चंद्रास्त: 5:35 AM
सुबह स्नान कर देव-पूजन करें।
दत्तात्रेय जयंती होने के कारण दत्त गुरु की आराधना, मंत्र-जाप व उपवास करें।
माता अन्नपूर्णा को भोग लगाएँ और अन्नदान करें।
शिव पूजा, दीपदान और कृतिका नक्षत्र में विशेष व्रत करना शुभ माना गया है।
शाम को दीप जलाएँ और कार्तिगाई दीपम् के उत्सव में भाग लें (यदि संभव हो)।
4 दिसंबर 2025 का दिन कई प्रमुख पर्वों से युक्त अत्यंत पवित्र तिथि है। दत्तात्रेय जयंती, अन्नपूर्णा जयंती और मार्गशीर्ष पूर्णिमा जैसे शुभ अवसर इस दिन के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाते हैं। पूजा, व्रत, दान और जप करने से पुण्य, समृद्धि और दिव्य कृपा की प्राप्ति होती है।
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