16 सितंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, आश्विन कृष्ण नवमी, अष्टमी व्रत का महत्व, नवरात्रि की शुरुआत और शुभ मुहूर्त व पूजा विधि।
16 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन कौन से व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे, पितृ पक्ष से संबंधित कौन सा श्राद्ध किया जाएगा और दिनभर के शुभ-अशुभ मुहूर्त कौन से होंगे, यह जानना हर श्रद्धालु के लिए आवश्यक है। इस लेख में जानिए 16 सितंबर 2025 से जुड़ी पूरी जानकारी, जो आपके दिन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से खास बना सकती है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 16 सितंबर 2025 को कौन-सा व्रत और पर्व है तथा यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
16 सितंबर 2025 मंगलवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है। इस दिन दशमी श्राद्ध मनाया जाएगा। पितृ पक्ष में यह श्राद्ध उन पितरों के निमित्त किया जाता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो। इसे दशमी तिथि श्राद्ध या दसवाँ श्राद्ध भी कहा जाता है।
पंचांग विवरण
तिथि प्रारंभ: दशमी तिथि – 15 सितंबर, रात 11:32 बजे से
तिथि समाप्त: 17 सितंबर, रात 8:46 बजे तक
नक्षत्र: रोहिणी – 4:04 AM तक (17 सितंबर), इसके बाद मृगशीर्ष नक्षत्र
योग: वैधृति योग – 4:53 AM तक, इसके बाद विष्कुम्भ योग
करण: तैतिल – 11:18 AM तक, इसके बाद गर करण
वार: मंगलवार (हनुमान जी और मंगल देव का दिन)
शुभ-अशुभ समय
कुतुप मुहूर्त: 11:51 AM से 12:41 PM
रौहिण मुहूर्त: 12:41 PM से 1:31 PM
अपराह्न काल: 1:31 PM से 4:00 PM
अभिजीत मुहूर्त: 11:32 AM से 12:22 PM
राहुकाल: 3:05 PM से 4:39 PM
गुलिक काल: 9:49 AM से 11:23 AM
यमघंट काल: 8:15 AM से 9:49 AM
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: 5:41 AM
सूर्यास्त: 6:03 PM
चंद्रोदय: 1:07 AM (17 सितंबर को)
चंद्रास्त: 2:54 PM (अगले दिन)
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: सिंह
चंद्र राशि: मिथुन
दिशाशूल: उत्तर दिशा
ऋतु: वर्षा
आयन: दक्षिणायन
दशमी श्राद्ध का महत्व
दशमी श्राद्ध पितृ पक्ष का एक पावन दिन है।
यह श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो।
इस दिन विधिवत श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे वंशजों को सुख, शांति और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।
मंगलवार होने से इस दिन हनुमान जी की पूजा और मंगल दोष निवारण का भी महत्व है।
निष्कर्ष
16 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन दशमी श्राद्ध मनाया जाएगा। पितृ पक्ष के इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किए गए श्राद्ध और तर्पण से परिवार पर पितृ कृपा बनी रहती है। श्रद्धा और समर्पण से किए गए कर्म जीवन को सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करते हैं।
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